भगवान से दुआ करो की जिंदगी थोड़ी लम्बी मिले या अप्रूवल आने तक जिंदा रहे पढ़े पूरी दस्ताने हॉस्पिटल

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भगवान से दुआ करो की जिंदगी थोड़ी लम्बी मिले या अप्रूवल आने तक जिंदा रहे पढ़े पूरी दस्ताने हॉस्पिटल

भगवान से दुआ करो की जिंदगी थोड़ी लम्बी मिले या अप्रूवल आने तक जिंदा रहे पढ़े पूरी दस्ताने जिला हॉस्पिटल

जिला चिकित्सालय में दिखावे की मौक ड्रिल समस्याएं जस की तस  

रतलाम। कोरोना महामारी के नए वेरिएंट के आते ही देश सहित प्रदेश के कई जिला चिकित्सालय में तैयारियों को लेकर अलर्ट जारी किया गया है जिस पर अधिकतम जिले मौक ड्रिल कर अपने कार्य की रूपरेखा दिखा रहे है इसी के साथ रतलाम जिला चिकित्सालय में मौक ड्रिल की गई है पहले जिले के चिकित्सालय में बैठे मौन लोगो को उठाने के लिए एक मौन ड्रिल चलाने की आवश्यकता है जिससे स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाया जा सके आज भी जिला चिकित्सालय में इलाजरत मरीजों को जिला चिकित्सालय में इलाज करवाने से बेहतर प्राइवेट हॉस्पिटल की सलाह दी जाती है।
यह कहकर की आप तो जिला चिकित्सालय की व्यवस्था जानते ही है ना !
आज दिनांक तक अगर देखा जाए तो स्वास्थ्य व्यवस्था पर जिले सहित प्रदेश में करोड़ों अरबों रूपिये सिर्फ स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने में लगा दिए गए है।
लेकिन फिर भी मौन बैठी व्यवस्था अरबों रूपिये लगने के बाद भी ना खुश है न जाने क्यों !

अगर हम बात करे रतलाम जिला चिकित्सालय से लेकर मेडिकल कॉलेज की तो दोनो ही जगह डॉक्टर अपनी सरकारी नोकरी से ज्यादा प्राइवेट नोकरी में खुश है कारण सरकारी नोकरी ने फिक्स सैलरी और प्राइवेट में मन चाही पैकेज अनगिनत पैसा यही कारण है की यहां के लोगो को सरकारी हॉस्पिटल में इलाज बेहतर नहीं मिल पाता और जिनके पास पैसा होता है वह डॉक्टर द्वारा बताए गए  प्राइवेट हॉस्पिटल में जा कर अपना बेहतर इलाज करवा लेते है।
इसी के साथ अगर कोई घटना या कोई दुर्घटना में मृत व्यक्ति का अगर पीएम होना है तो उसे सिविल अस्पताल से या तो मुर्दे को पीएम करवाने के लिए खुद चलकर जाना बेहतर होगा या फिर एक किस कोने में पड़े हुए एंबुलेंस का इंतजार करना होगा। 
मुर्दे तो ठीक जो मरीज भर्ती है उसे बेहतर उपचार की ज्यादा आवश्यकता है तो उसे तत्काल में जिला चिकित्सालय लाने से बेहतर मेडिकल कॉलेज तक लें जाना होगा और वह तक ले जाते अगर वह जीवित रहे तो भी बेहतर है क्योंकि सिविल हॉस्पिटल में अगर इमरजेंसी में किसी मरीज को मेडिकल कॉलेज भेजना हो तो गिनी चुनी या बहुत सारी एंबुलेंस में से किसी एक एंबुलेंस का इंतजार करना होगा और उस इंतजार में भी मरीज का बचना जरूरी है साहब  ! नही तो जिम्मेदारी हमारी नही होगी। 

अब हम बात करते है तेज़ी से चल रहे, एक अभियान के द्वारा बनाए गए आयुष्मान कार्ड की जिसमे भारत सरकार के द्वारा 5 लाख तक के इलाज की मुफ्त सुविधा दी गई है लेकिन आज की बात करे हम तो ये मुफ्त सुविधा लेने के लिए आपको सिर्फ नाम दिया गया है मुफ्त बताने के लिए इस योजना का अगर आप को लाभ लेना है तो जिस हॉस्पिटल में यह सुविधा है वह जाकर अपने एक्सीडेंट होने या इलाज करवाने की तारीख पहले ही दर्ज जा कर करवानी होगी क्योंकि जिम्मेदारों का कहना होता है की योजना तो शुरू हो गई है लेकिन ऊपर से अप्रूवल आने में समय लगता है जब तक अगर इमरजेंसी हो तो पैसे देकर इलाज करवा लो या भगवान से दुआ करो की जिंदगी थोड़ी लम्बी मिले या अप्रूवल आने तक जिंदा रहे तो ये रही हमारे देश की स्वास्थ्य व्यवस्था की एक तस्वीर अगर आपके पास भी है कोई आवश्यक सुझाव या कोई जानकारी तो हमारे साथ जरूर साझा करे। 

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