181 की शिकायत वापिस नहीं ली तो सुपरवाइजर ने शासकीय कार्य में बाधा का केस लगा दिया आयोग ने लिया संज्ञान
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भोपाल/हमारे अधिकार न्यूज़, मप्रमानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष श्री मनोहर ममतानी ने ’छह मामलों में संज्ञान’ लेकर संबंधितों से जवाब मांगा है।
नशा बेचने वालो ने इतना दबाव बनाया कि युवक ने फांसी लगा ली
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने इंदौर शहर के इंद्रा नगर में रहने वाले एक युवक ने नशा बेचने वालो के पैसे चुकता करने के दबाव से त्रस्त होकर फांसी लगा ली। मृतक राहुल पिता राजेश ठाकुर नशा करता था। उसका पड़ोसी चेतन राहुल को नशा करने केे लिए पुड़िया लाकर देता था। दो दिन पहले चेतन ने राहुल से कहा पुड़िया के लिये घर से हजार रूपये लेकर आ, वरना जान से मार दूंगा। राहुल डर गया और अपने पिता से पैसे मांगने लगा और पिता ने मना कर दिया तो राहुल विवाद करने लगा। इसी बीच उसे चेतन ने बुला लिया। वह घर लौटा, तो काफी डरा हुआ था। वह चिल्लाते हुये तीसरी मंजिल स्थित अपने रूम में बंद हो गया। परिजनों को चिंता हुई तो वह ऊपर पंहुचे, तो देखा राहुल फंदे पर लटका हुआ था। मामले में आयोग ने पुलिस कमिश्नर, इंदौर से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही के संबंध में तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।
एमवाय अस्पताल में 50 लाख की ईआरसीपी मशीन ताले में, निजी अस्पतालों को 30 लाख का भुगतान
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने इंदौर शहर के एमवाय अस्पताल में भारी कुप्रबंधन के मामले में संज्ञान लिया है। इस संबंध में एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि एमजीएम मेडिकल कालेज प्रबंधन ने दो साल पहले एमवाय अस्पताल में 50 लाख रूपये की ईआरसीपी मशीन खरीदी थी। यह मशीन पेट से संबंधित बीमारियों की जांच के लिए बहुत जरूरी होती है परंतु आलम यह है कि यह मशीन पहले दिन से ही तालेे में बंद है। उसे बाक्स से भी बाहर नहीं निकाला गया है। इस वजह से आज भी मरीजों की जांच निजी अस्पतलों में कराई जा रही है। इसके लिये मेडिकल कालेज द्वारा हर मरीज के 15 हजार रूपये भुगतान किये जा रहे हैं। मेडिकल कालेज मरीजों की पेट संबंधी जांचों के लिए निजी अस्पतलाों को दो सालों में करीब 30 लाख रूपये का भुगतान कर चुका है। जबकि इस मशीन से आम मरीजों को मात्र एक चैथाई खर्च पर जांच की सुविधा मिल सकती है। मामले में आयोग ने आयुक्त, स्वास्थ्य सेवाएं, मप्र शासन, भोपाल तथा डीन, एमजीएम मेडिकल कालेज इंदौर से एक माह में जवाब मांगा है। आयोग ने इन दोनों अधिकारियों से पूछा है कि- 01. दो वर्ष पूर्व यह मशीन खरीदे जाने के पश्चात से अब तक इसका उपयोग क्यों नहीं हो पा रहा है ? 02. मशीन बंद पड़े रहने से उसके रख-रखाव एवं संबंधित कंपनी द्वारा दी गई वारंटी आदि की क्या स्थिति है ? 03. मशीन प्रारंभ करने के लिए क्या जरूरी व्यवस्था इन दो वर्षो में नहीं हो पाई ? 04. मशीन का उपयोग कब से प्रारंभ होना संभव है ? 05. मशीन होते हुये भी मरीजों को निजी अस्पतलों में जांच हेतु भेजे जाने का क्या औचित्य है ?
डीपी पर कर्मचारी को लगा करंट, मौत
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने सागर शहर के कैंट थाना क्षेत्र में बीते बुधवार को डीपी पर काम कर रहे बिजली कंपनी के एक कर्मचारी को करंट लग जाने और अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो जाने के मामले में संज्ञान लिया है। मृतक मीटर रीडिंग का काम करता था और वह लाईनमेन के साथ गया था। लेकिन अपने स्थान पर लाईनमेन ने उसे डीपी पर कार्य सुधार के लिये चढा दिया। तभी पावर सप्लाय चालू हो गया, जिससे उसे करंट लग गया। मामले ने आयोग ने मुख्य अभियंता, सागर क्षेत्र, मप्र पूर्व क्षेत्र विविकंलि, सागर से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही के संबंध में जवाब मांगा है। आयोग ने मुख्य अभियंता को यह निर्देश दिये हैं कि मृतक के परिजनों को दी गई मुआवजा राशि के संबंध में भी प्रतिवेदन दें।
कक्षाओं में बैठने के लिये बच्चे खुद लगाते हैं झाड़ू
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने दमोह जिले के हटा क्षेत्र के प्रायमरी स्कूल वर्धा में स्कूल में पढ रहे बच्चों से झाड़ू लगवाने के बारे में प्रकाशित एक मीडिया रिर्पोट पर संज्ञान लिया है। रिर्पोट के अनुसार जब संवाददाता जिले के मडियादो संकुल के अधीन प्राथमिक शाला वर्धा में पंहुचे, तो वहां बच्चे झाड़ू लगाते नजर आये। पहली से पांचवीं कक्षाओं में पढ रहे बच्चे अपनी अपनी कक्षाओं में झाड़ू लगाते हैं, उसके बाद फर्श में बैठकर पढाई करने को मजबूर हैं। डीपीसी दमोह का कहना है कि बच्चों से स्कूल में झाड़ू नहीं लगवाई जा सकती है। यदि ऐसा हो रहा है, तो यह सरासर गलत है। मामले में आयोग ने कलेक्टर एवं जिला शिक्षा अधिकारी, दमोह से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही के संबंध में तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।
बालक को बचाने बाघ से भिड़ गया किसान
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने पन्ना जिले में एक बच्चे को बाघ से बचाने के लिये एक किसान के बाघ से भिड़ जाने की घटना में उसके बुरी तरह जख्मी हो जाने के मामले में संज्ञान लिया है। घटना यूं हुई कि अजयगढ रेंज थरके पुरवा गांव में बीते बुधवार को किसान धर्मेन्द्र यादव जंगल से लगे सिमरा हार में सिंचाई कर रहा था। धर्मेन्द्र ऊचांई पर पानी लगा रहा था, तभी उसने बच्चे के चीखने की आवाज सुनी, तो पास पंहुचा। देखा बच्चे के पास बाघ बैठा था। धर्मेन्द्र ने उसे भगाने का प्रयास किया। बाघ नहीं भागा, तो पास जाकर बच्चे को हटाने लगा। उसने बाघ को पटखनी देकर बालक को उसके मुंह से निकाल लिया, पर स्वयं बुरी तरह जख्मी हो गया। धर्मेन्द्र जिला अस्पताल पन्ना में भर्ती है। मामले में आयोग ने वन मंडलाधिकारी, पन्ना से एक माह में प्रतिवेदन तलब किया है। आयोग ने वन मंडलाधिकारी को यह भी निर्देश दिये हैं कि पीड़ित को मुआवजा राशि के संबंध में तथा क्षेत्र के निवासियों की सुरक्षा के संबंध में की गई कार्यवाही के संबंध में भी स्पष्ट प्रतिवेदन दें।
181 की शिकायत वापिस नहीं ली, तो सुपरवाइजर ने शासकीय कार्य में बाधा का केस लगा दिया
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने आगर मालवा जिले के तनोड़िया में बिजली कंपनी के सुपरवाइजर द्वारा एक विद्युत उपभोक्ता के विरूद्ध बेवजह शासकीय कार्य में बाधा का केस लगा देने के मामले में संज्ञान लिया है। तनोड़िया निवासी भागीरथ मालवीय की विद्युत कंपनी द्वारा लाईन काट दी गई। भागीरथ द्वारा विद्युत बिल आॅनलाईन जमा करा दिये जाने और बार-बार अनुरोध करने के बावजूद भी उनकी लाईन नहीं जोड़ी गई। परेशान होकर भागीरथ ने सीएम हेल्पलाईन (टोल फ्री 181) पर शिकायत कर दी। इससे गुस्साये सुपरवाइजर ने भागीरथ से कहा-शिकायत वापिस ले लो। भागीरथ ने शिकायत वापिस नहीं ली, तो सुपरवाइजर ने भागीरथ के खिलाफ शासकीय अमले पर हमला करने और शासकीय कार्य में बाधा उत्पन्न करने का केस दर्ज करा दिया। भागीरथ ने आगर थाने में संबंधित सुपरवाइजर पर कार्यवाही के लिये आवेदन दिया है। मामले में आयोग ने पुलिस अधीक्षक, आगर मालवा एवं कार्यपालन यंत्री, मप्र पश्चिम क्षेत्र विविकंलि, आगर मालवा से तीन सप्ताह में प्रतिवेदन तलब किया है।