दुराचार पीड़िता को लाडली लक्ष्मी का लाभ और झोला छाप डॉक्टर पहुंचा जेल : MPHRC

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दुराचार पीड़िता को लाडली लक्ष्मी का लाभ और झोला छाप डॉक्टर पहुंचा जेल : MPHRC
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दुराचार पीड़िता को लाडली लक्ष्मी का लाभ और झोला छाप डॉक्टर पहुंचा जेल : MPHRC

दुराचार पीड़ित बालिका या महिला से जन्मी संतान यदि बालिका है, तो उसे दिया जा रहा है लाड़ली लक्ष्मी योजना का लाभ

आयोग की अनुशंसा पर राज्य शासन ने की व्यवस्था

मप्र मानव अधिकार आयोग द्वारा एक मामले में की गई चार अहम अनुशंसाओं का पालन कर लिया गया है। इस मामले में सबसे बड़ा परिपालन यह है कि दुराचार पीड़ित बालिका से जन्मी बालिका संतान को लाड़ली लक्ष्मी योजना का लाभ दिया जा रहा है। यह व्यवस्था आयोग की अनुशंसा पर ही की गई है। मामला बालाघाट जिले का है।

आयेाग के प्रकरण क्रमांक 7200/बालाघाट/2014 के अनुसार बालाघाट शहर निवासी एक आवेदक ने मप्र मानव अधिकार आयोग को आवेदन दिया कि उसकी सात वर्षीया नाबालिग पुत्री के साथ आंगनवाड़ी केन्द्र से घर लौटते वक्त संजू नाम के आरोपी ने दुराचार किया था। आरोपी संजू को सजा हो चुकी है। दुराचार पीड़ित बालिका के पिता ने लिखा कि पुत्री के साथ हुई घटना के कारण वह अत्यधिक भयभीत हो चुकी है, उसका मानसिक संतुलन बिगड़ चुका है, उसका भविष्य अंधकारमय हो चुका है, जिसकी क्षतिपूर्ति किन्हीं अन्य साधनों से होना संभव नहीं है, अतः उसकी पुत्री को आर्थिक सहायता दिलाई जाये, जिससे उसका भविष्य सुधारा जा सके। आयोग को 25 अक्टूबर 2014 को आवेदक का आवेदन मिला। आवेदन मिलते ही मामला दर्ज कर लिया गया और सीधे कलेक्टर, बालाघाट से इस तथ्य पर प्रतिवेदन मांगा गया कि पीड़ित बालिका को महिला एवं बाल विकास विभाग व सामाजिक न्याय विभाग द्वारा क्या मदद दी गई है ? आयोग द्वारा मामले की सतत् सुनवाई की गई और अंततः मामले में राज्य शासन को चार अहम् अनुशंसायें की गईं। आयोग द्वारा की गई इन चारों अनुशंसाओं का पालन पूर्ण कर लिया गया है :-

पहली अनुशंसा में आयोग ने राज्य शासन को दुराचार पीड़ित बालिका को एक लाख रूपये राहत राशि देने को कहा था। इसके पालन में राज्य शासन द्वारा दुराचार पीड़ित बालिका और उसकी माता के संयुक्त खाते में एक लाख रूपये अंतरिम राहत राशि जमा करा दी गई है।

दूसरी अनुशंसा में आयोग ने राज्य शासन को ऐसी दुराचार पीड़ित बालिका या महिला को क्षतिपूर्ति राशि देने के लिये *पीड़ित प्रतिकर स्कीम* बनाने को कहा था। इसके पालन में राज्य शासन ने प्रतिवेदन दिया है कि मप्र अपराध पीड़ित प्रतिकर योजना-2015 पहले की बनायी जाकर क्रियान्वित की जा रही है।

तीसरी अनुशंसा में आयोग ने कहा था कि दुराचार पीड़ित बच्चियों के सुरक्षित भविष्य, उपचार एवं उनकी शिक्षा के लिये भी कोई स्कीम बनाई जाये, जिससे बच्चियों का भविष्य खराब न हो। इस पर शासन ने जवाब दिया है कि वर्तमान में निराश्रित, उपेक्षित, परित्यक्त एवं देखरेख व संरक्षण की जरूरत वाले बच्चों के लिये समेकित बाल संरक्षण योजना (आईसीपीएस) संचालित की जा रही है। अतः दुराचार पीड़ित बच्चियों को भी इसी योजना से लाभान्वित किया जा रहा है।

चौथी अनुशंसा में आयोग ने कहा था कि आंगनवाडियों में जाने वाले सभी बच्चों को केंद्र तक ले जाने और वापस घर तक जाने के लिये समुचित सुरक्षित व्यवस्था बनाई जाये, ताकि इन छोटे बच्चों के साथ कोई घटना, दुर्घटना या अनहोनी न हो पाये। इसके परिपालन में राज्य शासन ने कहा है कि बच्चों के आंगनबाड़ी केन्द्र तक सुरक्षित आवागमन के लिये एकीकृत बाल विकास सेवा द्वारा सभी को निर्देशित कर दिया गया है।

इसी मामले में आयोग द्वारा की गई अनुशंसा क्र. दो के आलोक में राज्य शासन के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा अद्यतन प्रतिवेदन दिया गया है कि दुराचार पीड़ित बालिका या महिला से जन्मी संतान यदि बालिका है, तो ऐसी जन्मी बालिका को मप्र सरकार की *लाडली लक्ष्मी योजना* का लाभ दिया जा रहा है।

चूंकि आयोग द्वारा की गई चारों अनुशंसाओं में निहित संवेदशीलता का भाव पूर्ण हो चुका है, अतः आयोग में यह मामला अब समाप्त कर दिया गया है।

झोलाछाप डाक्टर जेल पहुंचा आयोग के हस्तक्षेप पर पुलिस ने झोलाछाप डाक्टर का क्लीनिक सील किया

मप्र मानव अधिकार आयोग के हस्तक्षेप पर सागर जिले के एक झोलाछाप डाक्टर को सख्त सजा मिली। झोलाछाप डाक्टर अब जेल में हैं और उसका क्लीनिक भी सील कर दिया गया है। सीएमएचओ, सागर ने आयोग को इस आशय का प्रतिवेदन दिया है। आयोग के प्रक्र 2988/सागर/2023 में सीएमएचओ, सागर द्वारा दिये गये प्रतिवेदन के अनुसार झोलाछाप डाक्टर समीर विश्वास पर थाना देवरी में मर्ग क्रमांक 29/23, सीआरपीसी की धारा 174 का मामला दर्जकर जांच में लिया गया। चूंकि ईलाज के लिये आये मरीज की मृत्यु हो गई थी, इसलिये आरोपी डाक्टर पर थाना देवरी में ही अपराध क्रमांक 210/23, आईपीसी की धारा 304 एवं 24 मप्र राज्य आर्युविज्ञान परिचालन एक्ट दर्जकर विवेचना में लिया गया। विवेचना में डाक्टर समीर विश्वास दोषी पाये गये, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है एवं पुलिस द्वारा उसका क्लीनिक सील बंद कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि मप्र मानव अधिकार आयोग द्वारा एक दैनिक समाचार पत्र में ‘‘हाईवे पर शव रखकर ग्रामीणों ने लगाया जाम’’ शीर्षक से प्रकाशित खबर पर 28 अप्रैल 2023 को स्व संज्ञान लिया था। खबर के अनुसार सागर जिले के देवरी क्षेत्र में एक झोलाछाप डाॅक्टर के गलत इलाज और गलत इंजेक्शन लगाने से एक मरीज की मौत हो गई। घटना से गुस्साये मृतक के परिजनों एवं क्षेत्रीय ग्रामीणों ने राष्ट्रीय राजमार्ग 44 पर शव रखकर भारी जाम लगा दिया। ग्रामीणों ने क्षेत्र में डाॅक्टर्स की कमी और बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था के लिये सरकार के खिलाफ नाराजगी व्यक्त कर नारेबाजी की। मामले में संज्ञान लेकर मप्र मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर एवं सीएमएचओ, सागर से जांच कराकर ऐसे अनाधिकृत झोलाछाप डाॅक्टर के विरूद्ध की गई कार्यवाही के संबंध में जवाब मांगा था।

चूंकि झोलाछाप डाक्टर पर सख्त दंडात्मक कार्यवाही हो चुकी है, अतः आयोग में यह मामला अब समाप्त कर दिया गया है।