बड़ी खबर – सुप्रीम कोर्ट में मध्यप्रदेश शासन की गंभीर लापरवाही का मामला उजागर
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बड़ी खबर – सुप्रीम कोर्ट में मध्यप्रदेश शासन की गंभीर लापरवाही का मामला उजागर
नई दिल्ली, 27 अगस्त 2025।
सुप्रीम कोर्ट में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें मध्यप्रदेश के सागर जिले के एक व्यक्ति को सज़ा पूरी करने के बावजूद आठ साल से अधिक समय तक जेल में बंद रखा गया।
मामला सोहन सिंह उर्फ बबलू बनाम राज्य बनाम मध्यप्रदेश से संबंधित है। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश रिकॉर्ड के अनुसार, सोहन सिंह को सत्र न्यायाधीश, खुरई, जिला सागर ने सन् 2004 में दर्ज मामले में आईपीसी की धारा 376(1), 450 और 506-बी के तहत दोषी ठहराकर आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी।
सोहन सिंह ने इस फैसले को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने 10 अक्टूबर 2007 को उनके अपील क्रमांक 1613/2005 पर फैसला सुनाते हुए उनकी सज़ा को आजीवन कारावास से घटाकर 7 वर्ष का कठोर कारावास कर दिया था।
लेकिन हैरान कर देने वाली बात यह है कि सोहन सिंह को 7 वर्ष की सज़ा पूरी करने के बाद भी जेल से रिहा नहीं किया गया और वह 6 जून 2025 तक जेल में ही बंद रहे, यानी उन्हें तय सज़ा से 8 वर्ष अतिरिक्त जेल में* रहना पड़ा।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने इस मामले को बेहद गंभीर बताते हुए राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है कि इतनी बड़ी चूक कैसे हुई।
पीठ ने कहा –
"हम जानना चाहते हैं कि इतनी गंभीर लापरवाही क्यों हुई और अभियुक्त को सात वर्ष की निर्धारित सज़ा पूरी करने के बाद भी आठ वर्ष तक जेल में क्यों रखा गया।"
सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार को इस संबंध में दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है और मामले की अगली सुनवाई 8 सितम्बर 2025 को निर्धारित की है।
यह मामला न केवल जेल प्रशासन और राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि न्यायिक आदेशों के पालन में हुई लापरवाही किस प्रकार एक व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का घोर हनन कर सकती है। साथ ही, यह घटना मानवाधिकार उल्लंघन का स्पष्ट उदाहरण है, जिस पर राष्ट्रीय एवं राज्य मानव अधिकार आयोग को स्वतः संज्ञान लेकर जवाबदेही सुनिश्चित करनी चाहिए थी तथा पीड़ित को क्षतिपूर्ति प्रदान करने हेतु राज्य सरकार को बाध्य करना चाहिए था।
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