रतलाम में धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास मुस्लिम बच्चों से नारे लगवाने का मामला

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रतलाम में धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास मुस्लिम बच्चों से नारे लगवाने का मामला
Ratlam Dharmik naare ko lekar marpit

रतलाम : पुलिस रात में जेल भर्ती रही इधर आरोपी दिन में ही घटना कर गए

धार्मिक उन्माद की घटना, प्रशासन की लापरवाही उजागर पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल

रतलाम जिले में धार्मिक तनाव को बढ़ावा देने वाली एक गंभीर घटना प्रकाश में आई है। अमृत सागर तालाब के पास हुई इस घटना में तीन नाबालिग बच्चों के साथ मारपीट और जबरन धार्मिक नारे लगवाने का मामला सामने आया है। बच्चों ने आरोप लगाया है कि उन्हें चाकू दिखाकर धमकी दी गई और कहा गया कि यदि उन्होंने अल्लाह का नाम लिया तो उनकी जान ले ली जाएगी,।  

पीड़ित बच्चों के अनुसार, घटना करीब एक से डेढ़ महीने पहले की है। उनके साथ मारपीट करने वाले अज्ञात व्यक्तियों ने उन्हें अपमानजनक गालियां दीं और जबरन "जय श्री राम" के नारे लगवाकर उनका वीडियो बनाया। वीडियो वायरल होने के बाद यह मामला सामने आया।  

इस घटना ने न केवल शहर में धार्मिक सौहार्द को ठेस पहुंचाई है, बल्कि स्थानीय प्रशासन की लापरवाही को भी उजागर किया है। बच्चों ने डर के कारण अपने परिवार को कुछ नहीं बताया, लेकिन अब वीडियो वायरल होने के बाद यह सवाल उठ रहा है कि जिले का प्रशासन और पुलिस बल ऐसी घटनाओं को रोकने में नाकाम क्यों हैं।  

माता-पिता को खोने वाले बच्चे पर दोहरी चोट

घटना में शामिल तीन बच्चों में से एक नाबालिग के माता-पिता का कुछ समय पहले ही निधन हो चुका है। इस बच्चे ने अपने जीवन में पहले ही एक बड़ा दुख सहा है, और अब इस भयावह घटना ने उसकी मानसिक और भावनात्मक स्थिति को और भी गहरा आघात पहुंचाया है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि ऐसे बच्चों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, लेकिन प्रशासन की उदासीनता ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है।

प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

घटना के बाद भी बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने में पुलिस की निष्क्रियता ने लोगों को निराश किया है। स्थानीय समाजसेवियों और बुद्धिजीवियों का कहना है कि यदि इस तरह की घटनाओं पर सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो जिले में शांति और भाईचारे पर गहरा संकट आ सकता है।  

एस.पी और कलेक्टर पर लापरवाही के आरोप

स्थानीय लोगों का आरोप है कि एसपी और कलेक्टर कार्यालय ने इस घटना की गंभीरता को नजरअंदाज किया। इस मामले में तुरंत संज्ञान लेकर दोषियों की गिरफ्तारी होनी चाहिए थी, लेकिन प्रशासन की निष्क्रियता से अपराधियों का हौसला बढ़ा है।  

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक का बुद्धिजीवियों को आश्वासन पर सवाल: क्यों नहीं लगी अपहरण की धारा !

बच्चों के बयान के बावजूद, पुलिस ने इस मामले में अब तक BNS की धारा 137(2) (अपहरण) या अन्य संबंधित धाराएं नहीं लगाई हैं। इससे प्रशासन की गंभीर लापरवाही उजागर होती है।

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि नाबालिगों के बयान को प्राथमिक साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए था और तत्काल उचित धाराओं में मामला दर्ज होना चाहिए था। लेकिन प्रशासनिक उदासीनता ने अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई को कमजोर कर दिया है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ !

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं न केवल बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालती हैं, बल्कि सामाजिक सौहार्द को भी खतरे में डालती हैं। पीड़ित बच्चों और उनके परिवारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कार्रवाई आवश्यक है।  

नागरिकों की मांग

इस घटना से आक्रोशित शहरवासियों ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और पुलिस प्रशासन की जवाबदेही सुनिश्चित करने की मांग की है। साथ ही, जिला कलेक्टर और एसपी से स्पष्टीकरण देने की मांग की गई है कि आखिर ऐसी घटनाएं क्यों हो रही हैं और इन्हें रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।  

यह घटना प्रशासन के लिए एक चेतावनी है कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो सामाजिक ताना-बाना कमजोर हो सकता है। पुलिस और प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर न्याय दिलाया जाए।

वायरल वीडियो नीचे लिंक पर क्लिक कर देखें।

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