धार्मिक कट्टरता का बढ़ता प्रभाव, समाज को बांटती मानसिकता

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धार्मिक कट्टरता का बढ़ता प्रभाव, समाज को बांटती मानसिकता
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धार्मिक कट्टरता का बढ़ता प्रभाव, समाज को बांटती मानसिकता

देश में बढ़ती धार्मिक कट्टरता ने समाज के ताने-बाने पर गंभीर असर डालना शुरू कर दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि कट्टर धार्मिक मानसिकता से असहिष्णुता बढ़ रही है, जिससे समाज कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रहा है।

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धार्मिक कट्टरता आमतौर पर व्यक्ति और समाज को किन दिशाओं में ले जा सकता है

असहिष्णुता और विभाजन

कट्टरता से समाज में सहिष्णुता घटती है और लोग विभिन्न धार्मिक या सांस्कृतिक समूहों के प्रति नफरत या भेदभाव की भावना रख सकते हैं।

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हिंसा और संघर्ष

धार्मिक कट्टरता कभी-कभी हिंसा, आतंकवाद या सांप्रदायिक दंगों को जन्म देती है, जिससे शांति और सामाजिक समरसता भंग होती है।

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अंधविश्वास और रूढ़िवादिता

यह विज्ञान, तर्क और खुले विचारों के विरोध में रूढ़िवादी मान्यताओं को बढ़ावा देता है, जिससे समाज प्रगति की राह में पिछड़ सकता है।

व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर प्रतिबंध

कट्टरता के प्रभाव में लोग दूसरों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता, विचार, और जीवनशैली पर नियंत्रण की कोशिश करते हैं।

आर्थिक और सामाजिक विकास में बाधा

जब कट्टरता बढ़ती है, तब समाज में अस्थिरता उत्पन्न होती है, जिससे विकास कार्य प्रभावित होते हैं और निवेश या शिक्षा पर नकारात्मक असर पड़ता है।

कट्टरता के विपरीत, सहिष्णुता, संवाद और परस्पर सम्मान समाज को एकता, शांति और विकास की ओर ले जाते हैं।

सामाजिक संगठनों और सरकार को चाहिए की वे सहिष्णुता, संवाद और आपसी सम्मान को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय कदम उठाएँ ताकि देश की एकता और प्रगति कायम रह सके।