जिस अधिनियम में निःशुल्क शिक्षा देने का प्रावधान वही मदर्स वर्ल्ड एकेडमी स्कूल की मनमानी ! की अवैधानिक फीस वसूली : RTE Addmission
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जिस अधिनियम में निःशुल्क शिक्षा देने का प्रावधान वही मदर्स वर्ल्ड एकेडमी स्कूल की मनमानी की अवैधानिक फीस वसूली : RTE Addmission
आरटीई के तहत स्कूल मिलने के बाद भी मदर्स वर्ल्ड एकेडमी स्कूल ने प्रवेश देने से किया इनकार, प्रिंसिपल और स्टाफ ने इन्हीं के दूसरे स्कूल प्रवेश के लिए और प्रवेश शुल्क भरने के लिए बनाया दबाव, जनसुनवाई में की पिता ने शिकायत
HamareAdhikar.In
रतलाम, एक तरफ सरकार प्रत्येक नागरिक को शिक्षित करने के लिए तरह तरह की योजना बना रही है। वहीं गरीबों को प्राइवेट स्कूलों में निशुल्क शिक्षा मिल सके इसके लिए भी शिक्षा के अधिकार के तहत बच्चों को प्रवेश दिलवाया जा रहा है। लेकिन रतलाम शहर में कुछ प्राइवेट स्कूल योजना को चुना लगाते हुए अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 12 (1) (C) का उल्लंघन कर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर परिजन और बच्चों के साथ अभद्रता की जा रही है।
ऐसा ही एक मामला रतलाम के मोहन नगर स्थित मदर्स वर्ल्ड एकेडमी स्कूल का है। जिसने अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 12 (1) (C) का उल्लंघन करते हुए कक्षा नर्सरी के छात्र मोहम्मद उमेर अली को विद्यालय में प्रवेश देने से इनकार कर दिया। जबकि शासन के नियमानुसार लॉटरी सिस्टम के अनुसार मदर्स वर्ल्ड एकेडमी स्कूल आवंटन हुआ था। छात्र मोहम्मद अली के पिता मोहसिन शाह ने सभी दस्तावेज के साथ एप्लीकेशन आईडी 3265703 के तहत आखिरी दिनांक 10 जून के पहले स्कूल में उपस्थित हुए लेकिन वहां मौजूद स्टाफ ने प्रिंसिपल के नहीं होने की बात कह कर आरटीई के तहत यह कहकर एडमिशन देने से ही मना कर दिया कि सीट फुल हो चुकी है। फिर जब प्रिंसिपल जयप्रकाश शुक्ला से मिलकर बात बताई तो स्टाफ और प्रिंसिपल जयप्रकाश शुक्ला ने भी छात्र के पिता के साथ बदसलूकी की। फिर एडमिशन के लिए दबाव बनाते हुए जबदस्ती एडमिशन फीस ली। इसमें भी स्कूल संचालक और प्रिंसिपल जयप्रकाश शुक्ला ने चालाकी करते हुए डायमंड एकेडमी की 3500– रुपए की रसीद दे दी जबकि सूत्रों की माने तो डायमंड एकेडमी स्कूल में नर्सरी कक्षा की मान्यता ही नहीं है। एडमिशन मदर्स वर्ल्ड एकेडमी में होना था। इसी मामले में जब डीपीसी धर्मेंद्र सिंह हाड़ा को मीडियाकर्मी द्वारा तीन बार फोन किया गया लेकिन उन्हें फोन उठाने की ही फुर्सत नहीं रही। कई देर इंतजार के बाद उनका दोबारा कॉल भी नहीं आया।
पिता ने शिकायत में यह लिखा
इसकी शिकायत छात्र मोहम्मद अली के पिता मोहसिन शाह ने जनसुनवाई में उपस्थित होकर शिकायत की। पिता मोहसिन ने ने बताया कि मैं मोहन नगर रहता हु और मजदुरी कर अपना व अपने परिवार का भरण पोषण करता हूं। मेरे पुत्र मोहम्मद उमैर अली का निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 12 (1) (C) के तहत प्रवेश हेतु ऑनलाईन आवेदन किया था जिस पर मुझे 29 मई को मोबाइल पर मैसेज के माध्यम से सुचना मिली कि आरटीई निः शुल्क प्रवेश सत्र 2025-26 हेतु आपके बच्चे मोहम्मद उमैर अली एप्लीकेशन आईडी 3265703 स्कूल नाम मदर्स वर्ल्ड ऐकेडमी कक्षा नर्सरी ऑनलाईन लाटरी के माध्यम से स्कुल आबंटन हुआ है आबंटन पत्र डाउनलोड करे तथा प्रवेश की अंतिम 10 जून तक आवंटित स्कूल में उपस्थिति प्रदान करे।
यह कि मुझ प्रार्थी द्वारा आबंटन पत्र ऑनलाइन डाउनलोड करवाकर उक्त पत्र में दर्शाये जनशिक्षा केन्द्र जाकर वेरिफिकेशन करवाया गया और फिर मुझ प्रार्थी द्वारा दिनांक 04.06.2025 को उक्त स्कुल में जाकर प्रवेश प्रक्रिया पूरी करनी चाही तो स्कुल में उपस्थित स्टॉफ द्वारा मुझ प्रार्थी से कहा की प्रिंसीपल साहब नही है वह दिनांक 15.06.2025 तक आयेंगे तब ही आपकी प्रवेश प्रक्रिया पूरी होगी।
मुझे दिनांक 9.06.2025 को मदर्स वर्ल्ड एकेडमी स्कूल में जाकर दोबारा संपर्क किया गया तो प्रवेश फार्म भरवाकर स्कूल द्वारा मुझ प्रार्थी से प्रवेश शुल्क जमा करने का दबाव बनाया गया और नही अदा करने पर स्कूल में प्रवेश देने से इंकार किया गया। जिस पर मैने स्कूल के स्टाफ के दबाव में आकर रुपये 3500/- जमा करवा दिए। जिसकी फिस रसीद भी मुझे दी गई। जो डायमंड एकेडमी स्कूल की है।
मेरे द्वारा स्कूल में दिनांक 10.06.2025 को स्कूल में जाकर इस संबंध में प्राचार्य जयप्रकाश शुक्ला से बात की तो प्राचार्य व स्टाफ द्वारा मुझ प्रार्थी से अभद्र व्यवहार किया गया कि तुम यह रसीद वापस दो और अपना फार्म ले जाओ तुम्हारे बच्चे का प्रवेश इस स्कूल में नहीं हो सकता है। हमारे स्कूल की सिटे पूरी हो गई है। स्कूल के प्राचार्य व स्टॉफ द्वारा मेरे बच्चे का प्रवेश न देकर उसका भविष्य खराब करने व उसके संवैधानिक व मौलिक अधिकारो का उल्लंघन कर उक्त कृत्य किया गया है तथा शासन के दिशा निर्देशों का उल्लंघन करते हुए अवैध राशि की वसुली की गई है जिस कारण श्रीमान के समक्ष उक्त आवेदन प्रस्तुत करना आवश्यक हुआ है। अतः निवेदन है कि प्रतिप्रार्थी के उपरोक्त कृत्यों को देखते हुए प्रतिप्रार्थी पर उचित कानुनी कार्यवाही किये जाने का आदेश प्रदान करे।
जहां एक और उक्त कृत्य करके स्कूल द्वारा निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 का मजाक बनाकर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है वहीं स्कूल के उक्त कृत्य से बच्चे को शिक्षा से वंचित होना भी पड़ सकता है जिससे उसके मौलिक अधिकारों उल्लंघन होता नजर आ रहा ही अब देखना यह है कि उक्त स्कूल पर प्रशासनिक स्तर पर क्या कार्यवाही होती है।