जीतू पटवारी के काफिले पर हमला, कार का शीशा टूटा – सुरक्षा चूक पर प्रशासन सवालों के घेरे में

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जीतू पटवारी के काफिले पर हमला, कार का शीशा टूटा – सुरक्षा चूक पर प्रशासन सवालों के घेरे में
Congress State President Jeetu Patwari

जीतू पटवारी के काफिले पर हमला, कार का शीशा टूटा – सुरक्षा चूक पर प्रशासन सवालों के घेरे में

रतलाम में उस समय हड़कंप मच गया जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के काफिले को प्रदर्शनकारियों ने घेर लिया। गुस्साए लोगों ने काले झंडे दिखाए, नारेबाज़ी की और उनकी कार का शीशा तक तोड़ डाला।

आज राहुल गांधी द्वारा पूरे देश में वोट चोरी के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान “वोट चोर गद्दी छोड़” के तहत जीतू पटवारी रतलाम जिले में जनसमर्थन यात्रा पर पहुंचे थे। उनके रतलाम शहर में आने से पूर्व ही फोरलेन हाईवे के समीप मांगरोल फंटे पर प्रदर्शनकारी हाथों में काले झंडे लेकर मौजूद थे। जैसे ही काफिला वहां पहुंचा, उन्होंने रोककर विरोध किया और कार पर मुक्के मारते हुए शीशे तोड़ दिए।

स्थिति बिगड़ते देख जीतू पटवारी ने गाड़ी रुकवाई और लोगों से संवाद करते हुए माफी मांगी। इसके बाद वे रतलाम शहर के बाजना बस स्टैंड पहुंचे, जहां पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया सहित कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ जनसमर्थन यात्रा में शामिल हुए।

जनसभा को संबोधित करते हुए पटवारी ने कहा—

“मुख्यमंत्री मोहन यादव, अगर मेरी हत्या करके नशा रोक सकते हो तो कृपया मेरी हत्या करवा दो।”

इस बयान के बाद सभा स्थल पर सन्नाटा छा गया और माहौल भावुक हो गया।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह विरोध पटवारी के हालिया बयान के चलते भड़का। अचानक हुए इस विरोध ने न केवल जनसमर्थन यात्रा की रफ्तार धीमी की बल्कि सुरक्षा व्यवस्था की भी पोल खोल दी।

अब सवाल उठ रहे हैं—

आखिर इतने बड़े राजनीतिक नेता के काफिले के दौरान सुरक्षा इंतज़ाम क्यों नाकाफी रहे?

पुलिस और प्रशासन की मौजूदगी में विरोधी भीड़ कार तक कैसे पहुँच गई?

क्या यह खुफिया तंत्र की नाकामी नहीं है?

गनीमत रही कि इस पूरी अफरा-तफरी में जीतू पटवारी ने संयम और सूझबूझ का परिचय दिया। उन्होंने स्वयं आगे बढ़कर प्रदर्शनकारियों से संवाद किया और माफी मांगते हुए स्थिति को शांत कराया। उनकी समझदारी से बड़ा हादसा टल गया।

इसके बावजूद, यह घटना प्रदेश में नेताओं की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है और प्रशासन की जिम्मेदारी को कटघरे में खड़ा करती है। अब देखना यह होगा कि सुरक्षा में हुई इस गंभीर चूक पर कार्रवाई कौन और कब करता है।

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