"मुख्य साहब का 'मौन व्रत': भ्रष्टाचार बढ़े, पर कुर्सी न हिले!"
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"मुख्य साहब का 'मौन व्रत',भ्रष्टाचार बढ़े, पर कुर्सी न हिले!
जिले में भ्रष्टाचार का बोलबाला है, लेकिन हमारे कुर्सी के योद्धा साहब अपनी कुर्सी से ऐसे चिपके हुए हैं जैसे दीवार से पुरानी पेंटिंग। लोकायुक्त की टीम ने तहसील के क्लर्क को रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया, मगर मौन महाराज के ऑफिस में सब ‘ऑल इज वेल’ है!
साहब के चुप रहने का रहस्य
नामली तहसील में 50,000 की रिश्वतखोरी के मामले ने हड़कंप मचा दिया। सूत्रों के मुताबिक साहब मीटिंग में व्यस्त रहते और आश्वाशन देते है कि जाँच करेंगे, यह वही जांच है जिसकी फाइनल रिपोर्ट फाइलों के कब्रिस्तान में दफन हो जाती है।
भ्रष्टाचार की 'गोल्डन चेन'
जनता का कहना है कि तहसील से लेकर मुख्यालय तक भ्रष्टाचार की एक 'गोल्डन चेन' बनी हुई है, जिले में कोई भी काम साहब की मर्जी के बिना नहीं होता, लेकिन जब बात कार्रवाई की आती है, तो वो सीधे 'मौन व्रत' धारण कर लेते हैं।
साहब का 'कुर्सी प्रोटोकॉल'
- चाय की दुकानों पर चर्चा है:
- साहब का सिद्धांत है—जितना बड़ा पद, उतनी बड़ी चुप्पी।
- साहब की कुर्सी इतनी मजबूत है कि भूकंप आ जाए, तो तहसील की दीवार गिर जाएगी, मगर उनकी कुर्सी नहीं हिलेगी।
- साहब के ऑफिस में 'फाइलें' इतनी घबराई रहती हैं कि खुद ही गायब हो जाती हैं।
जनता का दर्द
गांव के एक बुजुर्ग ने कहा, साहब तो साहब हैं। रिश्वत देने वाले गरीब किसानों का दर्द समझने के लिए उनके पास टाइम नहीं है। बस बड़े लोगों की चाय-पानी सेवा में लगे रहते हैं।
भ्रष्टाचार के सुपरस्टार
सूत्रों के मुताबिक, साहब को पकड़ना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है। जब क्लर्क पकड़ा जाता है, तो साहब बड़े आराम से मुस्कुराते हुए कहते हैं, 'सिस्टम को दोष मत दो, सिस्टम को सुधारने का वक्त दो।'
आखिरी बात
जिले की जनता अब सवाल कर रही है, क्या बड़े साहब किसी 'रिश्वत विरोधी चमत्कारी कवच' में हैं, या फिर कानून केवल गरीब क्लर्कों पर ही लागू होता है?
जनता के सवाल बढ़ते जा रहे हैं, और साहब की चुप्पी भी। शायद अगली बार जनता के गुस्से की आवाज साहब की कुर्सी तक पहुंच ही जाए!