हत्या का आरोप स्वीकार करने पर दबाव डालकर जबरदस्ती जेल भेजने पर आयोग ने निर्दोष को राज्य शासन से छः लाख देने को कहा
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हत्या का आरोप स्वीकार करने पर दबाव डालकर जबरदस्ती जेल भेजने पर आयोग ने निर्दोष को राज्य शासन से छः लाख देने को कहा
इमरत सिंह को छह लाख रूपये क्षतिपूर्ति राशि दो माह में दे दें आयोग ने की अनुशंसा
भोपाल। मप्र मानव अधिकार आयोग ने उच्च न्यायालय, मध्यप्रदेश, जबलपुर के विविध आपराधिक प्रकरण (एमसीआरसी) क्र. 3229/2022 मध्यप्रदेश राज्य विरूद्ध हल्लू उर्फ इमरत सिंह लोधी में पीड़ित हल्लू उर्फ इमरत सिंह लोधी को छह लाख रूपये क्षतिपूर्ति राशि दो माह में देने की अनुशंसा राज्य शासन को की है। साथ ही नियत अवधि में क्षतिपूर्ति राशि अदा किये जाने में विलंब होने पर शेष राशि पर आदेश की तारीख से नौ प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज अलग से देना होगा। मामला दमोह जिले का है। आयोग के प्रकरण क्रमांक 6807/दमोह/2022 में आयोग ने यह अनुशंसा की है।
प्रकरण के अनुसार मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय, जबलपुर की खण्डपीठ द्वारा मामले में यह माना गया है कि हल्लू उर्फ इमरत सिंह लोधी को निर्दोष होते हुये भी यातना के अधीन रहते हुये 199 दिन जेल अभिरक्षा में रहना पड़ा और उसकी परिस्थिति को देखते हुये मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग से यह अपेक्षा की गई है कि आयोग ऐसे मामले की परिस्थितियों, पीड़ित हल्लू उर्फ इमरत सिंह लोधी द्वारा भोगी गई पीड़ा/कष्ट/विपत्ति की परिस्थितियों का निर्धारण करते हुये विचारोपरान्त पीड़ित हल्लू को देय क्षतिपूर्ति राशि तय करे। उच्च न्याायालय के आदेशानुसार आयोग द्वारा मामले में कार्यवाही प्रारंभ कर प्रथमतः इससे संबंधित प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश, दमोह के न्यायालय में निराकृत सत्र प्रकरण 121/18 निर्णय दिनांक 29.10.2021 से संबंधित अभियोग पत्र एवं विचारण, न्यायालय में हुये सभी साक्षियों के कथनों की प्रतियां आहूत की गयीं। विविध आपराधिक प्रकरण में पीड़ित बताये गये हल्लू उर्फ इमरत सिंह लोधी को उसे दी जाने वाली प्रतिकर राशि के निर्धारण हेतु आयोग के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर साक्ष्य प्रस्तुति हेतु बुलाया गया। इसी अनुक्रम में हल्लू उर्फ इमरत सिंह लोधी आयोग के समक्ष 28 अगस्त 2022 को उपस्थित हुआ। उसके द्वारा लिखित आवेदन पत्र प्रस्तुत कर उसके साथ दस्तावेज भी प्रस्तुत किये गये। आवेदन पत्र में मुख्यतः उच्च न्यायालय, मध्यप्रदेश, जबलपुर द्वारा पारित आदेश का उल्लेख करते हुये ऐसे मामले की परिस्थितियों का ही उल्लेख किया गया और यह प्रार्थना की गई कि उसे विभिन्न मदों में कुल तीस लाख की क्षतिपूर्ति राशि अदा की जाये। इस राशि में उसके और उसके परिवार के सदस्यों को गांव के बाहर निष्कासित कर दिये जाने के कारण अपनी खेती की जमीन पर तीन वर्ष तक कोई कृषि कार्य न कर सकने के कारण हुई हानि के कारण बीस लाख रूपये ऐसी तीन वर्ष की अवधि तक भोगी गई शारीरिक यातनाओं के लिये पांच लाख रूपये तथा उसे और उसके परिवार को समाज और गांव से निष्कासित किये जाने के कारण गांव में उनकी प्रतिष्ठा, मान-सम्मान में पड़े विपरीत प्रभाव के लिये पांच लाख रूपये, इस प्रकार कुल तीस लाख रूपये क्षतिपूर्ति राशि दिलाये जाने की प्रार्थना की गई।
पीड़ित का पक्ष सुनने के पश्चात् आयोग ने पाया कि चूंकि पीड़ित हल्लू उर्फ इमरत सिंह लोधी को निर्दोष होते हुये भी हत्या जैसे गंभीर मामले में अपराध कबूलने के लिये बर्बरतापूर्ण दबाव डालकर यातना दी गई और अपराध कबूल करा गिरफ्तार कर अभिरक्षा में लिया गया और कुल 199 दिन न्यायिक अभिरक्षा में रखा गया। इसे देखते हुये पीड़ित हल्लू उर्फ इमरत सिंह लोधी उसे देय क्षतिपूर्ति राशि के संबंध में ‘‘धन संबंधी हानि’’ मद में एक लाख रूपये तथा ‘‘गैर धन संबंधी हानि’’ मद में पांच लाख रूपये, इस प्रकार कुल छह लाख रूपये क्षतिपूर्ति राशि पाने का हकदार है। अतः राज्य शासन पीड़ित को छह लाख रूपये दो माह में भुगतान करे। अन्यथा की स्थिति में शेष राशि पर आदेश की तारीख से नौ प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज अलग से देना होगा।