सूर्याेदय के साथ दिखना बंद हो जाने और रात के अंधेरे में दिखाई देने पर आदिवासी बेटी के लिए आयोग ने संज्ञान लेकर कलेक्टर रतलाम से इलाज को लेकर एक माह में जवाब मांगा

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सूर्याेदय के साथ दिखना बंद हो जाने और रात के अंधेरे में दिखाई देने पर आदिवासी बेटी के लिए आयोग ने संज्ञान लेकर कलेक्टर रतलाम से इलाज को लेकर एक माह में जवाब मांगा
MPHRC Bhopal Human Right Commission
सूर्याेदय के साथ दिखना बंद हो जाने और रात के अंधेरे में दिखाई देने पर आदिवासी बेटी के लिए आयोग ने संज्ञान लेकर कलेक्टर रतलाम से इलाज को लेकर एक माह ने जवान मांगा

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष श्री मनोहर ममतानी एवं माननीय सदस्य श्री राजीव कुमार टंडन ने नौ मामलों में स्वतः संंज्ञान लेकर संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने भोपाल शहर के 600 से ज्यादा बुजुर्गों को अपनी पेंशन राशि लेने के लिये अपने घर से पांच से दस किमी दूर बैंक जाने को मजबूर होने संबंधी एक मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है। ये बुजुर्ग लंबे समय से अपने बैंक खाते नजदीकी शाखा में स्थानांतरित करने की मांग कर रहे है, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। नगर निगम का कहना है कि यदि ऐसी समस्या है तो बुजुर्गों के बैंक खाते उनके क्षेत्र की ही नजदीकी शाखा स्थानांतरित कराने की प्रक्रिया शुरू की जायेगी। मामले में आयोग ने कमिशनर नगर निगम, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर दो बिंदुओं में दो सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है। आयोग ने कहा है कि

01. रोशनपुरा, बाघ फरहत अफजा, करौंद एवं कोलार के निवासी/हितग्राहीगणों को वृद्धावस्था पेंशन किस बैंक शाखा से प्राप्त हो रही है ? हितग्राहियों की संख्या, उक्त क्षेत्रवार तथा उनसे संबंधित बैंक शाखा की जानकारी स्पष्ट करें।

02. बतायी गई समस्या का समाधान करने के लिये की गई कार्यवाही का प्रतिवेदन भी प्रेषित करें।
 
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने भोपाल शहर में आयुष्मान कार्ड नहीं बनने से एक बेहद गंभीर रोग से पीड़ित 45 वर्षीय विक्रम सूर्यवंशी की बीमारी का इलाज नहीं हो पाने के मामले में संज्ञान लिया है। पीड़ित बताते है कि सिर्फ आयुष्मान कार्ड नहीं होने के कारण उन्हें इलाज के लिये दर-दर भटकना पड़ रहा है। परिवार वाले उन्हें जब अस्पताल लेकर पहुंचे, तो उनसे आयुष्मान कार्ड के बारे में पूछा गया। कार्ड न होने पर उन्हें दूसरे अस्पताल जाने का कह दिया गया। इसके बाद वे हमीदिया अस्पताल गये, तो वहां से भी उन्हें मायूस होकर ही लौटना पड़ा। मामले में आयोग ने कलेक्टर तथा कमिश्नर नगर निगम, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर पीड़ित के इलाज की संभावना के संदर्भ में की गई कार्यवाही का 15 दिन में प्रतिवेदन मांगा है। साथ ही यह भी कहा है कि कोई भी पात्र व्यक्ति, प्रभावी इलाज सुविधा प्राप्ति के अधिकार से वंचित न हो, ऐसा सुनिश्चित किया जाना जरूरी है।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने जिला मुख्यालय रायसेन में रहने वाली विकलांग आदिवासी महिला श्रीमती क्रांतिबाई पत्नी दद्दूलाल गोंड आदिवासी की जमीन पर दबंगों द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर लिये जाने से क्रांतिबाई को खुद की ही जमीन पर खेती करने के लिये कई सालों से दर-दर भटकने के मामले में संज्ञान लिया है। पीड़ित महिला के पति भी विकलांग हैं। पीड़िता का कहना है कि उन्होंने अपनी समस्या के निदान के लिये कई बाड़ी तहसील में और एसडीएम कार्यालय में लिखित में भी शिकायतें की, लेकिन अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। मामले में आयोग ने कलेक्टर रायसेन से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही का तीन सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने रतलाम जिले के मझोड़िया गांव की एक आदिवासी बेटी अंतिमबाला के दुर्लभ बीमारी हेमेरालोपिया से पीड़ित होने के कारण उसे सूर्याेदय के साथ दिखना बंद हो जाने और रात के अंधेरे में दिखाई देने संबंधी एक मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है। इस बीमारी के बारे में रतलाम मेडिकल काॅलेज के आई स्पेशलिस्ट का कहना है कि यह बीमारी लाखों में एक को होती है। इसका इलाज संभव है और यह रोग की गंभीरता पर भी निर्भर करता है। मामले में आयोग ने कलेक्टर रतलाम से प्रकरण की जांच कराकर शासन स्तर पर ऐसी पीड़ित आदिवासी बालिका के इलाज की व्यवस्था किसी योजना के अंतर्गत संभावित होने पर आवश्यक कार्यवाही कर एक माह में प्रतिवेदन मांगा है। आयोग ने यह भी कहा है कि पीड़िता आदिवासी बालिका के पढ़ाई के प्रति प्रकट किये गये जुनून की पूर्ति राज्य शासन की ओर से बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ उद्देश्य के अंतर्गत की जाये।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने जिला कलेक्ट्रेट, मुरैना में एक किसान को शासकीय कर्मचारी द्वारा पीटे जाने की एक मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है। कलेक्ट्रट मुरैना में किसान को सरकारी कर्मचारी ने पटक-पटकर लात-घूंसों से पीटा। जिले के हड़बासी गांव के किसान रामअवतार खटीक ने एसडीएम के पैर पकड़े। रो-रोकर बताया कि बाबू ने पीटा है। लेकिन एमडीएम का दिल नहीं पसीजा। उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा कि दिखवाते हैं। मामला कलेक्टर के संज्ञान में आया, तो उन्होंने नकल शाखा के कर्मचारी देवेन्द्र यादव को निलंबित कर दिया है। किसान को बाबू नामांतरण पंजी की नकल नहीं दे रहा था। मामले में आयोग ने कलेक्टर मुरैना से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही का तीन सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने पन्ना जिले के पवई में आॅक्सीजन सिलेंडर नहीं मिलने के कारण स्थानीय विधायक श्री प्रहलाद लोधी को आधे घंटे तक तड़पने के संबंध में प्रकाशित एक मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है। यह इसलिए हुआ कि पवई के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में आॅक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध ही नहीं था। एंबुलेंस से आॅक्सीजन सिलेंडर लगाकर उन्हें पन्ना रेफर किया गया। मामले में आयोग ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, पन्ना से जवाब-तलब किया है।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने दमोह शहर के जटाशंकर, बीड़ी कालोनी निवासी एक ही परिवार के दो बच्चों के चलते-फिरते अपंग हो जाने और परिजनों को कोई सहायता न मिलने के मामले में संज्ञान लिया है। दोनों बच्चों के पैर के निचले हिस्से काम नहीं कर रहे हैं। ये बच्चे स्वयं दैनिक कार्यों के लिये भी नहीं जा पा रहे हैं। परिवार ने दोनों बच्चों कुमारी माही और नारायण का कई जगह इलाज करवाया, पर कोई आराम नहीं मिला। इन बच्चों के परिजनों को किसी भी तरह की मदद नहीं मिली है। मामले में आयोग ने उपसंचालक, सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, दमोह से जवाब-तलब किया है।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने ग्वालियर शहर के तिघरा स्थित पब्लिक हेल्थ सेंटर के अंदर शराब पीने वाले नशेड़ी को रोकने पर उस नशेड़ी द्वारा आशा कार्यकर्ता के साथ बुरी तरह मारपीट कर देने के मामले में संज्ञान लिया है। पुलिस ने नशेड़ी के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया है। आशा कार्यकर्ता संगीता जब संेटर पहुंची थी तो दरवाजे पर राजू पंडित शराब पीता मिला। संगीता ने मना किया तो आरोपी ने उसके साथ मारपीट कर दी। मामले में आयोग ने पुलिस अधीक्षक, ग्वालियर से जवाब-तलब किया है।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने धार जिले के बदनावर स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय मुलथान में बीते रविवार की रात रैंगिंग के नाम पर छात्रों के साथ मारपीट किये जाने और बच्चों को सताने के मामले में संज्ञान लिया है। सोशल मीडिया से सूचना मिलने पर डायल 100 विद्यालय गई थी, किंतु प्राचार्य ने इस बारे में न तो कोई सूचना दी, न ही कोई रिपोर्ट दर्ज कराई है। प्राचार्य का कहना है, जिन बच्चों ने मारपीट की है, उन्हें समझाइश दे दी गई है। मामले में आयोग ने कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक, धार से जवाब-तलब किया है।

मप्र मानव अधिकार आयोग द्वारा अनुशंसा करने पर मृत इंजीनियरिंग छात्र के पिता को मिले पांच लाख रूपये

मप्र मानव अधिकार आयोग द्वारा अनुशंसा करने पर पुलिस की लापरवाही से मृत इंजीनियरिंग छात्र के पिता को पांच लाख रूपये दे दिये गये हैं। पुलिस मुख्यालय, भोपाल द्वारा आयोग को इस आशय की सूचना दी गई है। मामला इंदौर का है। इंदौर शहर निवासी मृतक इंजीनियरिंग छात्र सौरभ सूर्यवंशी के भाई संदीप सूर्यवंशी ने पुलिस पर आरोप लगाया था कि 31 दिसंबर 2015 को नये वर्ष का जश्न बनाकर उनका भाई सौरभ घर लौट रहा था। इस बीच विजय नगर थाना क्षेत्र में सड़क दुर्घटना में वह घायल हो गया था। पुलिसकर्मियों ने लापरवाही कर उसका उसे समुचित मदद और इलाज मुहैया नहीं कराया जिससे सौरभ की मौत हो गई। एक समाचार पत्र में प्रकाशित खबर पर संज्ञान लेकर आयोग ने प्रकरण क्रमांक 226/इंदौर/2016 में निरंतर सुनवाई उपरांत मृतक के परिजनों को पांच लाख रूपये देने की अनुशंसा राज्य शासन को की थी। पुलिस मुख्यालय ने बताया कि क्षतिपूर्ति राशि मृतक के पिता को भुगतान कर दी गई है। चूंकि आयोग की अनुशंसा का पालन हो चुका है, अतः आयोग में भी यह मामला अब समाप्त कर दिया गया है।

मप्र मानव अधिकार आयोग द्वारा अनुशंसा करने पर जेल अभिरक्षा में मृत बंदी की धर्मपत्नी को मिले पांच लाख रूपये

मप्र मानव अधिकार आयोग द्वारा अनुशंसा करने पर जेल अभिरक्षा में मृत बंदी की धर्मपत्नी को पांच लाख रूपये दे दिये गये हैं। जेल मुख्यालय, भोपाल द्वारा आयोग को इस आशय की सूचना दी गई है। मामला रायसेन जिले का है। यहां की सब जेल बरेली में बंद विचाराधीन बंदी केशव प्रसाद पिता शिवप्रसाद धाकड़ की जेल अभिरक्षा में रहने के दौरान तबीयत बिगड़ने पर उसे हमीदिया अस्पताल, भोपाल में उपचार के दौरान 20 दिसम्बर 2019 को मृत्यु हो जाने पर आयोग ने प्रकरण क्रमांक 9199/रायसेन/2019 में सतत् सुनवाई उपरांत परिजनों को पांच लाख रूपये देने की अनुशंसा राज्य शासन को की थी। चूंकि आयोग की अनुशंसा का पालन हो चुका है, अतः आयोग में भी यह मामला अब समाप्त कर दिया गया है।
 
मप्र मानव अधिकार आयोग द्वारा अनुशंसा करने पर जेल बंदी की मौत होने पर धर्मपत्नी को मिले पांच लाख रूपये

मप्र मानव अधिकार आयोग द्वारा अनुशंसा करने पर जेल अभिरक्षा में बंदी की उपचार के दौरान मौत हो जाने के एक मामले में मृतक की धर्मपत्नी को पांच लाख रूपये दे दिये गये हैं। जेल मुख्यालय, भोपाल द्वारा आयोग को इस आशय की सूचना दी गई है। मामला सिंगरौली जिले का है। यहां जिला जेल बैढन, जिला सिंगरौली में बंद विचाराधीन बंदी सूरजबली सिंह गोंड पिता पतिराज सिंह गोंड की जेल अभिरक्षा में रहने के दौरान तबीयत बिगड़ने पर उसे जिला चिकित्सालय बैढन में भर्ती कराया गया था, जहां उपचार के दौरान 06 जून 2019 को मृत्यु हो जाने पर आयोग ने प्रकरण क्रमांक 3432/सिंगरौली/2019 में सतत् सुनवाई उपरांत मृतक की धर्मपत्नी को पांच लाख रूपये देने की अनुशंसा राज्य शासन को की थी। जेल मुख्यालय द्वारा मृतक की धर्मपत्नी को क्षतिपूर्ति राशि दे दी गई है। चूंकि आयोग की अनुशंसा का पालन हो चुका है, अतः आयोग में भी यह मामला अब समाप्त कर दिया गया है।
 
मप्र मानव अधिकार आयोग की दो अनुशंसाओं का हुआ पालन
 
मप्र मानव अधिकार आयोग की दो अनुशंसाओं का पालन कर लिया गया है। पुलिस मुख्यालय, भोपाल द्वारा आयोग को इस आशय की सूचना दी गई है। मामला शहडोल जिले का है। ग्राम चैरी, थाना देवलोद, तहसील ब्यौहारी, जिला शहडोल निवासी रामनारायण पिता स्वर्गीय भैयालाल तिवारी ने थाना सिविल लाईन, रीवा में पदस्थ निरीक्षक शशिकांत चैरसिया व अन्य की शिकायत की थी कि  17 जुलाई 2019 को पुलिसकर्मियों ने उनके साथ मारपीट कर हाथ में फ्रेक्चर कर दिया एवं उनके पैसे भी छीन लिये। आयोग ने प्रकरण क्रमांक 5936/शहडोल/2019 दर्ज कर मामले की सतत् रूप  से सुनवाई कर राज्य शासन को दो अनुशंसाएं की थीं। अपनी अनुशंसा में आयोग ने कहा था कि 01. थानास्तर पर माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय परमवीर सिंह सैनी विरूद्ध बलजीत सिंह व अन्य एसएलपी (क्रिमिनल) नंबर-3543/2020 दिनंाक 27 जनवरी 2021 में निर्णय की कण्डिका-17 के अनुसार थानों में क्षमतायुक्त सीसीटीव्ही कैमरा की फुटेज 18 महीने तक संरक्षित करने की क्षमता वृद्धि एवं सीसीटीव्ही सिस्टम का रख-रखाव करने से संबंधित कार्यवाहियां एक माह में की जायें। 02. थानास्तर पर मारपीट प्रताड़ना अभद्र व्यवहार की जानकारी/शिकायत प्राप्त होने पर, संबंधित थाना प्रभारी एवं उनके पर्यवेक्षक अधिकारी नगर पुलिस अधीक्षक, उप पुलिस अधीक्षक, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, पुलिस अधीक्षक संबंधित थाने की, जिसके संबंध में मारपीट, प्रताड़ना, अभद्र व्यवहार की शिकायत है, की प्रासंगिक अवधि की सीसीटीव्ही वीडियो फुटेज संरक्षित रखी जाये। आयोग की प्रथम अनुशंसा के परिपालन में पुलिस मुख्यालय ने आयोग को बताया है कि प्रदेश के 1659 थानों/चौकियों में से 792 थानों/चौकियों में सीसीटीव्ही कैमरों की स्थापना कर दी गई है। शेष थानों/चौकियों में सीसीटीव्ही कैमरों की स्थापना का कार्य प्रगति पर है। द्वितीय अनुशंसा के परिपालन में पुलिस मुख्यालय ने बताया है कि थानास्तर पर मारपीट प्रताड़ना अभद्र व्यवहार की जानकारी/शिकायत प्राप्त होने पर, संबंधित थाना प्रभारी एवं उनके पर्यवेक्षक अधिकारी नगर पुलिस अधीक्षक, उप पुलिस अधीक्षक, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, पुलिस अधीक्षक आदि को प्रासंगिक अवधि की सीसीटीव्ही वीडियो फुटेज संरक्षित रखने हेतु निर्देशित कर दिया गया है। चूंकि आयोग की दोनों अनुशंसाओं का पालन पूर्ण हो चुका है, अतः आयोग में भी मामला अब समाप्त कर दिया गया है।
 
आवारा कुत्तों के हमले से मृत बालिका के वारिसों को दो लाख रूपये एक माह में दे दें आयोग ने की अनुशंसा

मप्र मानव अधिकार आयोग ने आवारा कुत्तों के झुण्ड के हमले से घायल तीन साल की बालिका की मौत हो जाने के मामले में मृत बालिका के वारिसों को दो लाख रूपये क्षतिपूर्ति राशि एक माह में दे देने की अनुशंसा राज्य शासन को की है। मामला धार जिले का है। घटना 21 जनवरी 2022 की है। कुमारी नंदिनी पिता श्री राजेन्द्र होहारी घर में अपने भाई-बहनों के साथ खेल रही थी, तभी आवारा कुत्तों के एक झुण्ड ने उस पर हमला कर दिया, जिससे वह बुरी तरह जख्मी हो गयी थी। ईलाज के दौरान नंदिनी की मृत्यु हो गई। आयोग के एक मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लेकर मुख्य सचिव, मप्र शासन, कलेक्टर, धार एवं ग्राम पंचायत, पाडल्या से जवाब मांगकर पूछा था कि क्या इस प्रकरण में कोई मुआवजा दिया गया है या नहीं ? आयोग ने *प्रकरण क्रमांक 590/धार/2022 दर्जकर* मामले की निरंतर सुनवाई की। अंततः राज्य शासन को अनुशंसा की है कि मृत बालिका के पिता को दो लाख रूपये क्षतिपूर्ति राशि एक माह में दे दी जाये। आयोग ने राज्य शासन से यह भी कहा है कि ग्राम पंचायत, नगर परिषद, नगर पालिका/नगर निगम के संबंधित जवाबदार पदाधिकारी आवारा पशुओं, जो आम जनता के लिये खतरनाक बन जाते हैं, उनको नियंत्रित करने की कार्यवाही सुनिश्चत करें। इन संस्थाओं के पर्यवेक्षक अधिकारी जमीनी स्तर पर हो रही कार्यवाहियों की समय-समय पर निगरानी करते रहें, ऐसे निर्देश सभी को जारी किये जायें।