पाॅली क्लीनिक की बदहाली, लंच के बाद पाॅली क्लीनिक पर डाॅक्टर नहीं आने एवं फार्मासिस्ट द्वारा मरीजों का इलाज करने पर आयोग ने लिया संज्ञान : भोपाल
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पाॅली क्लीनिक की बदहाली, लंच के बाद पाॅली क्लीनिक पर डाॅक्टर नहीं आने एवं फार्मासिस्ट द्वारा मरीजों का इलाज करने पर आयोग ने लिया संज्ञान : भोपाल
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष श्री मनोहर ममतानी एवं माननीय सदस्य श्री राजीव कुमार टंडन ने दो मामलों में संज्ञान लेकर संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है।
भोपाल। मप्र मानव अधिकार आयोग ने भोपाल शहर के गोविंदपुरा स्थित प्रदेश के पहले पाॅली क्लीनिक की बदहाली, लंच के बाद पाॅली क्लीनिक पर डाॅक्टर नहीं आने एवं फार्मासिस्ट द्वारा मरीजों का इलाज करने संबंधी मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है। भोपाल शहर में पंद्रह दिन पहले ही स्वास्थ्य विभाग ने गोविंदपुरा इलाके में प्रदेश का पहला मुख्यमंत्री पाॅली क्लीनिक शुरू किया था। विभागीय अधिकारियों का दावा है कि इस क्लीनिक में लोगों को विशेषज्ञों द्वारा उपचार और आठ प्रकार की जांचों की सुविधा मरीजों को मिलेंगी। यदि आप बेहतर इलाज की उम्मीद में प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री पाॅली क्लीनिक जाना चाह रहे हैं तो थोड़ा संभल जाएं, क्योंकि यहां हालात अभी से खराब हो गये हैं। लंच के बाद कोई डाॅक्टर नहीं मिलता। डाॅक्टर की जगह यहां सिर्फ एक कर्मचारी ही रहता है जो डाॅक्टर को फोन करके मरीज की जानकारी देता है और डाॅक्टर भी फोन पर ही या तो दवा लिखवा देते हैं या फिर मरीज को जेपी अस्पताल रेफर करने की सलाह दे देते हैं। बीते बुधवार को पाॅली क्लीनिक का एक वीडियो वायरल हुआ। वीडियो में ओपीडी काउण्टर पर बैठा कर्मचारी मरीज के आने पर डाॅक्टर को फोन कर उसकी जानकारी दे रहा है। मामले में आयोग ने संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं संचालनालय, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही का 15 दिन में प्रतिवेदन तलब किया है।
मप्र मानव अधिकार आयोग ने छतरपुर जिले के महाराजपुर के ग्राम उर्दमऊ में श्मशान पर दबंगों का कब्जा होने एवं अंतिम संस्कार के लिये एक वृद्ध का शव पांच घंटे तक पड़े रहने संबंधी एक मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है। छतरपुर जिले के महाराजपुर के ग्राम उर्दमऊ में में एक वृद्ध व्यक्ति का शव करीब पांच घंटे तक रास्ते पर पड़ा रहा। गांव के ही एक कुशवाह परिवार द्वारा श्मशान घाट की जमीन पर कब्जे की नियत से अंतिम क्रिया नहीं होने दी। बाद में जब अधिकारियों को सूचना मिली तो उन्होंने मामले में हस्तक्षेप किया और शव को मुखाग्नि मिल सकी। मामले में आयोग ने कलेक्टर, छतरपुर से प्रतिवेदन तलब किया है।