MP News: रतलाम में मौलिक अधिकारों का हो रहा हनन, पीने के पानी के लिए तरस रहे लोग, करोड़ों खर्च फिर भी नगर पालिका रतलाम साफ पानी मुहैया नही करा पा रही

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MP News: रतलाम में मौलिक अधिकारों का हो रहा हनन, पीने के पानी के लिए तरस रहे लोग, करोड़ों खर्च फिर भी नगर पालिका रतलाम साफ पानी मुहैया नही करा पा रही
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MP News: रतलाम में मौलिक अधिकारों का हो रहा हनन, पीने के पानी के लिए तरस रहे लोग, करोड़ों खर्च फिर भी नगर पालिका रतलाम साफ पानी मुहैया नही करा पा रही 

रतलाम@रिज़वान खान@हमारे अधिकार न्यूज,

मध्यप्रदेश सरकार ने पीने का पानी घर-घर तक पहुंचाने के लिए नल जल योजना बनाई है । योजना के तहत रतलाम जिले में शासन के करोड़ों रुपये खर्च हुए , लेकिन बावजूद इसके लोग स्वच्छ पेयजल के लिए तरस रहे हैं रतलाम जिले के गांवो को छोडिये रतलाम शहर में ही नगर निगम स्वच्छ पेयजल नही मुहैया करा पा रही है, इस भीषण गर्मी में अधिकारीयो को तब तक लोगो की समस्या समझ में नही आ सकती जब तक सरकारी अधिकारीयो के ऑफिस के ए.सी (एयर कंडीशन) बंद नही हो जाते, शायद तभी नगर निगम के आला अधिकारियो को ऑफिस से बहार निकलने की फुर्सत मिलेगी, उन अधिकारियो से जनता क्या उम्मीद करे जिन आधिकारियो से स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने के लिए CM Help Line पर कंप्लेंट करना पड़ती है लेकिन हद तो तब हो जाती है जब CM Help Line की कंप्लेंट को ही 6 महीने हो गए हो और उसका कोई निराकरण नही किया गया हो, इमरान कुरैशी जो अपने वार्ड सुभाष नगर रतलाम में पानी की समस्या को लेकर कई सालो से नगर निगम रतलाम के चक्कर काट रहे है निगम द्वारा लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई इस तरह कई लोगो ने भी राजेश्वर नगर रतलाम की समस्या को लेकर भी कई बार नगर निगम को बताया और सीएम हेल्प लाइन पर कंप्लेन भी की लेकिन उनकी कंप्लेन को बंद कर दिया (सीएम हेल्प लाइन कंप्लेन नंबर 19337598,20655809,21549171)

रतलाम नगर निगम के क्रमचारियो को उनके आचरण नियमो का पाठ पढ़ाया जाना अतिआवश्यक है भारतीय सविधान के अनुछेद 14,15,21 के आधार पर अनुछेद 243 के अंतर्गत नगरपालिकाओ का गठन किया गया और उसी के अनुछेद 243-बी के अंतर्गत नगरपालिकाओ का यहा कर्त्तव्य बयाता गया की बारहवी अनुसूची में दी हुई मुलभुत सुविधाओ के लिए कार्य करे और जनता को उसका लाभ पहुंचाए | लेकिन रतलाम की नगर पालिका नियमो और मोलिक अधिकारों को ताख में रख गन्दा पीने का पानी दे रही है जिससे लोगो के स्वस्थ पर भी असर पड़ रहा है आखिर क्या कारण है की CM Help Line पर दर्ज लोगो की कंप्लेंट को 6 महीने हो जाने के बाद भी उनकी समस्या का निराकरण नही हो रहा है 

कई नियमो को दरकिनार कर नगर पालिका कार्य कर रही है

मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965,मध्य प्रदेश लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी अधिनियम 2010,

मध्यप्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1956/1961,खाद सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006, नगर पालिका द्वारा जल कर लेने के बावजूद भी लोगो को साफ पानी नही देना अपने आप में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का उलंघन है इसी तरह कई और कानून है जिन्हे अनदेखा कर नगर निगम रतलाम कार्य कर रही है | सरकार के कई करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी लोगों को नल जल योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है । साफ पिने का पानी एक व्यक्ति के जीने का मुलभुत आधार है जनता के मौलिक अधिकारों का हनन रतलाम नगर पालिका द्वारा किया जा रहा है लेकिन सरकार कुछ नहीं कर रही है भारत में, स्वच्छ पेयजल तक पहुंच का संवैधानिक अधिकार भोजन के अधिकार, स्वच्छ पर्यावरण के अधिकार और स्वास्थ्य के अधिकार से लिया जा सकता है, इन सभी को जीवन के अधिकार के व्यापक शीर्षक के तहत संरक्षित किया गया है, संविधान का अनुच्छेद 21 जिसके तहत यह गारंटी दी गई है। अंतर्राष्ट्रीय संधियों की विस्तृत समीक्षा से पता चलता है कि भारत के संविधान के प्रारूपकारों ने स्पष्ट रूप से पानी को एक मौलिक संसाधन माना है। यह माना जाता है कि बुनियादी स्वच्छ जल तक पहुंच की गारंटी बुनियादी मानव अधिकार है अनुच्छेद 21 के अतिरिक्त,अनुच्छेद 39 (बी) में यह आदेश दिया गया है कि 'राज्य, विशेष रूप से, अपनी नीति को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित करेगा कि समुदाय के भौतिक संसाधनों का स्वामित्व और नियंत्रण इस प्रकार वितरित किया जाए कि यह सामान्य भलाई के लिए उपयोग में लाया जा सके अनुच्छेद 47 पोषण के स्तर और जीवन स्तर को बढ़ाने और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए राज्य के कर्तव्य का सुझाव देता है। राज्य अपने लोगों के पोषण स्तर और जीवन स्तर को बढ़ाने और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार को अपने प्राथमिक कर्तव्यों के रूप में मानेगा और इसी प्रकार माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी सुभाष कुमार बनाम बिहार राज्य (1991) में अपने निर्णय में बताया है की "जीने के अधिकार में जीवन के पूर्ण आनंद के लिए प्रदूषण मुक्त पानी और हवा का आनंद लेने का अधिकार शामिल है। इसी के अंतर्गत एक नागरिक को संविधान के अनुच्छेद 32 का सहारा लेने का अधिकार है। दिल्ली जल आपूर्ति और सीवेज बनाम हरियाणा राज्य (1996)"सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि "पानी प्रकृति का एक उपहार है। मानव को इस इनाम को अभिशाप, एक उत्पीड़न में बदलने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। पी.आर सुभाष चंद्रन बनाम आंध्र प्रदेश सरकार और अन्य (2001) इस मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि "नागरिकों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए राज्य जिम्मेदार है।" 'पानी के अधिकार' की रक्षा के लिए भारत में जल और जल आधारित संसाधनों के संबंध में अनेक कानून बनाए गए हैं। स्वच्छ पेयजल के बारे में पॉलिसी भी भारत सरकार द्वारा बनाई गई है इन सब के बावजूद नगर पालिका निगम रतलाम क्या अपने कर्तव्यों का पालन कर रही है

अब सवाल यह है की क्या ! नगर पालिका निगम रतलाम के कमिश्नर ! डिप्टी कमिश्नर ! और कलेक्टर रतलाम !  

इन सब परिस्थितियों के लिए जिमेदार नहीं है ! 

क्या इन अधिकारियो को अपने ए.सी युक्त ऑफिस से बाहर निकल ने की जरूरत नहीं है !

स्वच्छ पेयजल नहीं दिया जा रहा है। क्या यह जनता के अधिकारों का हनन नहीं है !