मृत व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का हनन करता रतलाम का सरकारी अस्पताल : रतलाम

मृत व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का हनन करता रतलाम का सरकारी अस्पताल : रतलाम
रतलाम, शहर में मानवता को शर्मसार कर देने वाली एक घटना सामने आई है। जिसमें एक मृत बच्चे के शव को लेकर परिजनो को परेशान होना पड़ा।अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही मृतकों के परिजनों को और अधिक दर्द दे रही है। बेहाल सिस्टम और बेरहम जिम्मेदार शवों को जिला अस्पताल से मेडिकल कॉलेज तक पहुंचाने के लिए तीन घंटे में व्यवस्था भी बेहतर नहीं कर पाते, जिसके चलते किसी घटना, दुर्घटना या हादसे में मृत हुए लोगों के परिजनों की अस्पताल आने के बाद यहां से शव को पोस्टमार्टम के लिए मेडिकल कॉलेज ले जाने में फजीहत हो रही है। 
ऐसा ही एक मामला शनिवार की रात फिर से जिला अस्पताल में देखने को मिला, जब नेहरू स्टेडियम के पास एक तेज रफ्तार कार की टक्कर से 3 वर्ष के मासूम की मौत हो गई। यह घटना शाम करीब 7 बजे की थी। बताया जा रहा है कि इस हादसे में खरगोन जिले के महेश्वर में रहने वाले सौरभ पिता अजय की मौत हुई है।
मृतक के पिता और परिवार के लोग यहां मजदूरी कर फुटपाथ पर दुकान लगाने का काम करते है। बच्चा सड़क किनारे खेल रहा था कि तेज रफ्तार कार ने उसे टक्कर मार का कुचल दिया और मौके पर ही उसकी मौत हो गई। इस घटना के बाद चालक कार छोड़ मौके से भाग गया। सूचना पर थाना स्टेशन रोड पुलिस मौके पर पहुंची और बिना नंबर की कार के चालक का पता लगाने में जुट गई। 
घटना के बाद शव को जिला अस्पताल ले जाने के बाद पुलिस ने कागजी खानापूर्ति तो पूरी कर ली लेकिन उसके बाद शव को यहां से मेडिकल कॉलेज ले जाने के लिए परिजनों को करीब 3 घंटे तक परेशान होना पड़ा। मामले की जानकारी सिविल सर्जन डॉ आनंद चंदेलकर को दी तो उनका कहना था कि जब गाड़ी की व्यवस्था होगी तब भेज देंगे, हादसे के दौरान दुख से पीड़ित परिवार को जब इस तरह के जवाब मिलते हैं तो उनका दर्द और बढ़ जाता है।
एक और जहा भारत में व्यक्ति को अपने संवैधानिक मौलिक अधिकारों के साथ जीवन जीने का अधिकार है, वही भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 जो जीवन के अधिकार की गारंटी देता है, व्यक्ति के जीवन के कई पहलुओं को शामिल करता है, जिसमें सम्मान का अधिकार भी शामिल है। सर्वोच्च न्यायालय के विभिन्न निर्णयों द्वारा यह अधिकार मृत व्यक्तियों को भी दिया गया है।