पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने की जयस नेताओं की बिना शर्त रिहाई की मांग कहा आदिवासियों को डराने से बाज आए सरकार
आदिवासियों का इतिहास बतलाता है कि वे मुगलों और अंग्रेजों तथा सरकारों से कभी डरे नहीं है।
आदिवासियों को डराने से बाज आए सरकार - डॉ सुनीलम
रिहाई नहीं होने की स्थिति में किसान संघर्ष समिति सभी जिलों में विरोध स्वरूप ज्ञापन सौंपेगी।
रतलाम। जयस से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं पर लादे गए सभी फर्जी मुकदमे रद्द कर सभी नेताओं की तत्काल रिहाई की मांग करते हुए किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है।
मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में उन्होंने कहा है कि जब 15 नवंबर 2022 को पूरा देश आदिवासी जननायक बिरसा मुंडा की जयंती मना रहा था, तब रतलाम में राजनीतिक बदले की भावना से 5 सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. अभय ओहरी, डॉ आनंद राय, विलेश खराड़ी, गोपाल वाघले, अनिल निनामा को अलग-अलग जगह से गिरफ्तार किया गया तथा अन्य 19 सामाजिक कार्यकर्ताओं पर एफ.आई.आर दर्ज की गई।
उन्होंने कहा कि झाबुआ में कुछ नेताओं द्वारा आदिवासियों के गैर राजनीतिक संगठन जयस पर अनर्गल आरोप लगाए गए, पूरे आदिवासी समुदाय को अपमानित किया गया लेकिन स्थानीय प्रशासन और पुलिस द्वारा उकसावे पूर्ण भाषण देने वाले व्यक्तियों को गिरफ्तार करने की बजाय सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने का काम किया गया है।
डॉ सुनीलम ने कहा कि रतलाम के स्थानीय आदिवासियों द्वारा ग्राम सभाओं की बिना सहमति से दिल्ली -मुंबई नेशनल कॉरिडोर तथा निवेश क्षेत्र बनाने का विरोध किया जा रहा है क्योंकि आदिवासियों से छीनी जा रही भूमि ही उनका एकमात्र जीविकोपार्जन का साधन है। इस संबंध में आदिवासियों द्वारा विधायक, सांसद से सवाल पूछा जाना उनका संवैधानिक अधिकार है। सवाल पूछने पर फर्जी मुकदमे दर्ज करना अलोकतांत्रिक और गैर संवैधानिक कार्यवाही है
उन्होंने पत्र के साथ आदिवासियों से जुड़े मुद्दों का आदिवासी संगठनों द्वारा राष्ट्रपति को भेजा गया पत्र भी संलग्न करके भेजा है । डॉ सुनीलम ने कहा कि उन्हें सामाजिक कार्यकर्ताओं के परिवारजनों से जानकारी प्राप्त हुई है कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है तथा उन्हें सागर सेंट्रल जेल में शिफ्ट कर दिया गया है। सागर और इन्दौर की केन्द्रीय जेल, जहां गंभीर प्रकृति के क्रिमिनल सजायाफ्ता अपराधी है, वहां डॉ आनंद राय तथा डॉ अभय ओहरी को फर्जी मुकदमें लाद कर लंबे समय तक कैद में रखना यह बताता है कि जयस नेताओ के साथ आतंकवादियों जैसा बर्ताव कर मानसिक प्रताड़ना दी जा रही है, जो आदिवासी संगठन जयस को दबाने की भाजपा सरकार की लोकतंत्र विरोधी मानसिकता और कार्यशैली का प्रतीक है।
उन्होंने मुख्यमंत्री को स्मरण कराते हुए कहा कि आपकी सरकार ने आदिवासियों को लेकर तमाम कार्यक्रमों की घोषणाएं की है तथा कानून बनाने की पहल की है। उन कानूनों को और भारत के संविधान में आदिवासियों से जुड़े संवैधानिक प्रावधानों को लागू करने की मांग करना किसी भी दृष्टि से आपत्तिजनक नहीं माना जा सकता। यह हर नागरिक का संवैधानिक अधिकार है ।
याद रखें कि आदिवासियों का इतिहास बतलाता है कि वे मुगलों और अंग्रेजों तथा सरकारों से कभी डरे नहीं है। कृपया उन्हें भयभीत करने का प्रयास न करें।
उन्होंने कहा कि मैं जानता हूं कि जयस की राजनीतिक ताकत से घबराकर आपकी सरकार द्वारा दमनात्मक कार्यवाही की जा रही है। डॉ सुनीलम ने कहा कि मेरा 40 वर्षों का सार्वजनिक जीवन बतलाता है कि दमनात्मक कार्यवाहियों से आम नागरिकों में असंतोष बढ़ता है तथा दमन करने वाली सरकार को ही उसका राजनीतिक खामियाजा भुगतना पड़ता है।
जयस से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं की तत्काल रिहाई नहीं होने की स्थिति में किसान संघर्ष समिति सभी जिलों में विरोध स्वरूप ज्ञापन सौंपेगी।