वकील को झूठा ट्वीट करना एमपीईबी बिजली विभाग को पड़ा भारी
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वकील को झूठा ट्वीट करना एमपीईबी बिजली विभाग को पड़ा भारी
वैसे तो सोशल मीडिया एक बड़ा साधन है अपने विचार कोई सूचना,जानकारी,सुझाव,समस्या आदि एक दूसरे से शेयर करने और एक दूसरे तक पहुंचाने का साधन है लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दे की इसी सोशल मीडिया पर असत्य, भ्रामक और किसी व्यक्ति को नुकसान देह जानकारी भेजना अपराध की श्रेणी में आता है उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही भी की जा सकती है अब हम आपके साथ एक जानकारी साझा करने जा रहे है जिसमे अधिवक्ता रिज़वान खान द्वारा अपने ऑफिस की बिजली बंद होने के संबंध में 1912 नंबर पर फोन लगाकर अपनी बिजली अनावश्यक कारणों से बंद होने की शिकायत की लेकिन 24 घंटे गुजर जाने के बाद भी बिजली विभाग द्वारा वकील साहब को कोई जवाब नही दिया गया इसकी शिकायत दोबारा अधिवक्ता द्वारा अपने सोशल मीडिया ट्विटर द्वारा एमपीईबी इंदौर के ट्विटर अकाउंट पर की गई कुछ समय बाद ही विद्युत विभाग के ट्विटर अकाउंट द्वारा अधिवक्ता को यह सूचना ट्वीट कर दी की....
"प्रिय उपभोक्ता हमारी टीम द्वारा जांच करने पर पाया गया कि आप के परिसर में स्मार्ट मीटर स्थापित है तथा माह नवंबर 2022 से बिल का भुगतान बकाया होने के कारण ऑनलाइन डिस्कनेक्शन किया गया"
यह मैसेज विद्युत विभाग के सोशल मीडिया ट्विटर अकाउंट से सार्वजनिक तौर पर पोस्ट किया गया जिस पर अधिवक्ता द्वारा आपत्ति जताते हुए रिप्लाई में ट्वीट कर यह बताया की..
"बहुत ही खूब इस तरह की जांच यह बताती है की एमपीईबी इंदौर किस तरीके से काम करता है और आपके इस स्टेटमेंट से जो आपने मेरी गरिमा को सोशल साइट पर नुकसान पहुंचाया है उसका जवाब भी आपको देना होगा और मैं आपको अवगत करा देता हूं कि मेरे परिसर का कोई बकाया नहीं और कनेक्शन किस वायर टूट जाने की वजह से डिस्कनेक्ट हुआ है अब आप यह बताएं कि आपने यह स्टेटमेंट मुझे सोशल साइट पर कैसे दे दिया क्या यह कथन विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के तहत दिया गया है कृपया इसकी जानकारी दें और अपनी जांच दोबारा करें और आप इस तरह किसी व्यक्ति की गरिमा को खराब नहीं कर सकते भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1) A के तहत यह मेरा संवैधानिक अधिकार है कृपया करके जानकारी दी जाए यह सार्वजनिक तौर से जो मुझे ट्वीट कर जो कुछ कहा गया है वह विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के माध्यम से किया गया है।"
यह अधिवक्ता द्वारा जब अपने ट्विटर अकाउंट से एमपीईबी इंदौर को किया गया तो पूरे विभाग के आला अधिकारियों के बीच खलबली मच गई हर कोई यह सोचने पर मजबूर हो गया की इस ट्वीट के जवाब में अब हम क्या कहे क्या जवाब दे अधिवक्ता द्वारा चर्चा में बताया गया की एक और सवालिया निशान यह भी है की मेरे परिसर में उक्त दिनांक जब मेरी शिकायत दर्ज थी तब मेरे परिसर में कोई स्मार्ट मीटर लगा ही नहीं था शिकायत के कुछ तीन दिन बाद बिजली विभाग के एक कर्मचारी द्वारा आ कर मेरे परिसर में स्मार्ट बिजली मीटर लगाया अब एमपीईबी इंदौर द्वारा अपने ट्विटर अकाउंट से झूठा और असत्य संदेश सार्वजनिक कर पोस्ट किया गया की मेरे परिसर में स्मार्ट मीटर लगा होने से मेरा बिजली बिल बकाया होने से ऑनलाइन बिजली कनेक्शन डिस्कनेक्ट किया गया।
अधिवक्ता द्वारा बिजली विभाग को किए गए जवाबी ट्वीट का ऐसा असर हुआ की बिजली विभाग को अपनी जांच दोबारा करने के बाद अपनी गलती स्वीकार करनी पड़ी की उनके कर्मचारियों द्वारा बिना जांच के झूठी जानकारी अपने ट्विटर अकाउंट से जवाब में पोस्ट कर दी इसके बाद आला अधिकारियों द्वारा अधिवक्ता से पोस्ट हटाने की भी बात कही गई और अपने झूठे ट्वीट के संबंध में मुआफी भी मांगी गई जिस पर अधिवक्ता द्वारा यह कहा गया की जिस तरह सोशल मीडिया कर सार्वजनिक मेरी छवि को धूमिल किया गया है उसी सोशल मीडिया ट्विटर पर एमपीईबी इंदौर को मुआफ़ी मांगनी पड़ेगी इस पर आला अधिकारियों द्वारा अधिवक्ता की बात को मानते हुए अपने सोशल मीडिया ट्विटर अकाउंट से एक पोस्ट की गई जिसमे अपनी गलती को मानते हुए एमपीईबी इंदौर द्वारा अधिवक्ता से मुआफि मांगी गई।
यह पूरा घटनाक्रम एक अधिवक्ता के साथ होने पर इस तरह एमपीईबी को झुकना पड़ा लेकिन सवाल यह है की अपनी गलती को मानने में एमपीईबी इंदौर को दो दिन का समय लग गया वही रोजाना अपनी जन समस्या को लेकर जो भी व्यक्ति अपनी समस्या सोशल मीडिया या किसी अन्य माध्यम से बिजली विभाग के समक्ष रखता है तो विभागीय अधिकारी कर्मचारी बिना किसी निष्कर्ष के सुनना पसंद या जांच करने में कोताही क्यों बरतते है क्या यह अपने आप में सवालिया निशान है की बिजली विभाग की कार्य प्रणाली कितनी सुस्त रवेये से अपने काम को बिना सोचे समझे अंजाम देती है।