राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने एमपी की प्रसिद्ध इप्का फैक्ट्री पर की शिकायत दर्ज जाने पूरा मामला
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रतलाम संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत ग्राम सेजावता में निवास कर रहे नागरिकों के मौलिक अधिकारों का ईप्का लैबोरेटरी द्वारा हनन की शिकायत : रतलाम
रतलाम@ हमारे अधिकार न्यूज़, जिले की इप्का लेबोरेटरी के द्वारा ग्रामीणों को गंदे पानी और धुएं से हो रही समस्या को लेकर अभिभाषक जहीरूद्दीन द्वारा कलेक्टर रतलाम को एक लिखित शिकायती आवेदन रतलाम कलेक्टर को देकर कार्यवाही की मांग की गयी थी ले लेकिन कोई कार्यवाही नहीं होने पर शिकायतकरता द्वारा शिकायत राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग नईदिल्ली को लेखी शिकायत भेजी जो दर्ज की गयी |
मौलिक अधिकारों के हनन के खिलाफ भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत ग्राम सेजावता में निवास कर रहे नागरिकों के मौलिक अधिकारों का ईप्का लैबोरेटरी द्वारा हनन किया जा रहा है एवं पर्यावरण प्रदुषण नियंत्रण के नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है।
पर्यावरण प्रदुषण से होने वाले दुष्प्रभावों को देखते हुए माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कई निर्णयों में नागरिकों के स्वास्थ्य को भारतीय संविधान के अनुच्छेद में समायोजित किया गया है और यह कहा गया है कि स्वच्छ पर्यावरण हर नागरिक के जीवन के लिये महत्वपुर्ण है और यह उसका मौलिक अधिकार है जिसे अनुच्छेद 21 में समायोजित किया गया है जिसके संबंध में न्याय दृष्टांत पर्यावरण संरक्षण के लिये अनेक मामलों में उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय द्वारा समय समय पर दिशा निर्देश जारी किए गए है। एल. सी. मेहता विरुद्ध भारत संघ, ए.आई.आर. 2001 ए.सी. 3262 में न्यायालय ने निर्धारित किया कि संविधान का अनुच्छेद 51 क (छ) के अधीन केन्द्र सरकार का यह कर्तव्य है कि वह देश की शिक्षण संस्थाओं में एक घण्टे पर्यावरण संरक्षण की शिक्षा देने का निर्देश दे । माननीय उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अनुच्छेद 21 के अधीन सभी व्यक्तियों को मानव गरीमा से जीने का मुल अधिकार प्राप्त है मानव जीवन का आकर्षण सुखपूर्ण जीवन जीना है प्रत्येक व्यक्ति को अनुच्छेद 21 के अधीन प्रदुषण रहित वातावरण में जीवन व्यतित करने का अधिकार है।' संलग्न है और अनुच्छेद 21 के आधार पर भारत पर सर्वप्रथम ग्रीन ट्रिब्यूनल की स्थापना की गई जिसका मुख्य उद्देश्य अनुच्छेद 21 को माना गया है
ईप्का लैबोरेटरी द्वारा विगत कई वर्षों से पर्यावरण प्रदुषण किया जा रहा है जिसमें सबसे अधिक पर्यावरण प्रदुषण अगर हो रहा है तो वह वायु प्रदुषण हो रहा है जिसमें नियम अनुसार वायु प्रदुषण की जांच भी करवाई जाना आवश्यक है जिसे ईप्का लैबोरेटरी द्वारा नियमों को ताक पर रख अपनी मनमानी कर लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। यह रतलाम प्रशासन का भी एक कर्तव्य है कि वह भारतीय संविधान में दिये गये मौलिक अधिकारों की रक्षा करे और साथ ही साथी ईप्का लैबोरेटरी जिसके द्वारा यह प्रदुषण फैलाया जा रहा है उस पर उचित कार्यवाही करने को कहा।
ईप्का लैबोरेटरी जो कि ग्राम सेजावता में होकर मेन फोरलेन जावरा रतलाम पर स्थित है तथा ईष्का लैबोरटरी में मेडिकल दवाईयों का उत्पादन किया जाता है तथा कैमिकल का उपयोग किया जाता है। और उक्त कैमिकल पानी के जरिये ग्राम सेजावता से होकर गुजरता है तथा हवा में भी कैमिकल की गैस उड़ती रहती है।
ग्राम सेजावता में रहने वाले ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है तथा फोर लाईन पर गुजरने वाले व्यक्तियों के स्वास्थ्य पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। ग्राम सेजावता व आस-पास के क्षेत्र में पानी के लिये बोरिंग खुदवाया जाता है तो प्रदुषित पानी निकलता है जो कि पीने योग्य नहीं होता है तथा ग्रामीणों को पीने के पानी के लिये रतलाम आकर ले जाना पड़ता है ।
जो कैमिकल गैस उड़ती है उससे भी ग्राम सेजावता व आसपास के क्षेत्र के रहवासी एवं राहगिरों की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
ग्राम सेजावता में कैमिकल गैस व प्रदुषित पानी के कारण फसले भी नहीं होती है एवं कैमिकल के कारण जीव जन्तु, जानवर ग्रामीणों के मवैशीयों स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
पूर्व में कई बार गैस के टैंकर की सफाई करते हुए कई व्यक्तियों ने अपनी जान गवाई है जिससे कि यह साबित हो जाता है कि इप्का लैबोरेट्री द्वारा नियमों को पुरी तरह से ताक पर रख दिया गया है यदि फैक्ट्री द्वारा सैफ्टी नियमों का पालन किया जाता तो शायद इप्का में कार्यरत मजदुरों की जान नहीं जाती।
ग्राम सेजावता में रहने वाले ग्रामीणों में लगभग 90 प्रतिशत लोग गंभीर बिमारीयों से पिड़ित हैं और गंभीर बीमारियों का कारण दिन प्रतिदिन गांव में रहने वाले व्यक्तियों की मौते होती चली जा रही है एवं ईष्का लैबोरेटरी के आस पास रहने वाले ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर प्रतिकुल प्रभाव पड़ रहा है जो कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लघंन है।
पूर्व में भी कई बार शिकायतें होती रहती है परंतु प्रशासनिक कर्मचारियों द्वारा अपने पद का सदउपयोग ना करते हुए अपने आचरण नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है व सही जांच व कार्यवाही नहीं की जाकर हमेशा ही शिकायतों को राजनैतिक दबाव में आकर बंद की गई है।
जबकि स्थानीय प्रशासन की यह जिम्मेदारी है की ग्रामीण व्यक्तियों के स्वास्थ्य पर जो विपरीत प्रभाव पड़ रहा है उसे रोका जाये एवं स्वस्थ्य वातावरण में ग्रामीणों को जीवन जीने का मौका मिले।