बेहतर स्वास्थ्य के लिए शक्कर का उपयोग कम करें -डॉ रूपल दलाल

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बेहतर स्वास्थ्य के लिए शक्कर का उपयोग कम करें -डॉ रूपल दलाल
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कलेक्ट्रेट सभा कक्ष में एडल्ट न्यूट्रिशन की कार्यशाला संपन्न। 

रतलाम। रतलाम जिले में पोषण और स्वास्थ्य के संबंध में ग्लोबल व्हील फाउंडेशन और आईआईटी मुंबई , स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त तत्वावधान में प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। इस क्रम में कलेक्ट्रेट सभा कक्ष में एडल्ट न्यूट्रिशन के संबंध में कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में कलेक्टर श्री राजेश बाथम , सीईओ जिला पंचायत श्री श्रृंगार श्रीवास्तव, निगम आयुक्त श्री हिमांशु भट्ट, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग श्री रजनीश सिन्हा, सिविल सर्जन डॉ एम एस सागर सहित जिले के समस्त विभाग प्रमुख एवं कर्मचारियों की उपस्थिति में कार्यशाला का आयोजन कर प्रशिक्षण प्रदान किया गया।

प्रशिक्षण में आईआईटी मुंबई की डॉक्टर रूपल दलाल ने बताया वर्तमान में गैर संचारी रोगों खासकर डायबिटीज , ब्लड प्रेशर स्ट्रोक जैसी बीमारियों का मुख्य कारण इन्सुलिन रेजिस्टेंस है। मनुष्य के शरीर में ऊर्जा की प्रदायगी के लिए माइटोकांड्रिया मुख्य भूमिका निभाता है । इसके माध्यम से कार्बोहाइड्रेट के रूप में ऊर्जा प्राप्त कर शरीर के विभिन्न अंगों को प्रदान की जाती है। इंसुलिन एक प्रकार का हार्मोन है जो शरीर में कार्बोहाइड्रेट को प्राप्त कर ग्लूकोज के रूप में बदलता है ,  और इसकी कमी से डायबिटीज और अन्य बीमारियां भयावह रूप लेती है, वयस्क मनुष्य को दिन भर में लगभग 100 ग्राम कार्बोहाइड्रेट की आवश्यकता होती है किंतु अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट पहुंचने पर इंसुलिन इसको शरीर की मांसपेशियों में इकट्ठा कर देता है ,  ताकि मनुष्य के भूखा रहने की स्थिति में इस कार्बोहाइड्रेट का उपयोग कर ऊर्जा की प्रदायगी की जा सके। किंतु बार-बार निरंतर अधिक कार्बोहाइड्रेट शरीर में पहुंचने पर इसका उपयोग नहीं हो पाता और वसा के रूप में संचित होकर मोटापे के रूप में अन्य बीमारियां शरीर को पीड़ित करती है। कार्यक्रम में डॉ देव जी पाटिल ने सभी लोगों को अपने द्वारा दिन भर में लिए जाने वाले आहार की मात्रा के आधार पर कार्बोहाइड्रेट एवं प्रोटीनं लिए जाने के संबंध में आकलन कराया । आकलन में पाया गया कि लगभग सभी लोग आवश्यकता से अधिक कार्बोहाइड्रेट शरीर में ग्रहण कर रहे हैं। इसके संबंध में डॉक्टर रूपल दलाल ने बताया कि अपने आहार में एक दिन में लगभग एक रोटी  में 60 ग्राम वजन के आधार पर लगभग 32 ग्राम( लगभग 4 चम्मच शकर )कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है । जबकि दिन भर में कुल कार्बोहाइड्रेट की आवश्यकता लगभग 100 ग्राम है। उन्होंने बताया कि अधिक मात्रा में लिया गया कार्बोहाइड्रेट विनाशकारी पदार्थों को छोड़ता है , जिससे शरीर में बीमारियां पनपने लगती है । इससे बचने के लिए शक्कर चीनी गुड़ आदि का उपयोग कम से कम करें। गेहूं और चावल के उपयोग से बचे ,  इसके बजाय ज्वार , बाजरा, कोदो , कुटकी आदि के आटे का उपयोग किया जा सकता है ,  सप्ताह में कम से कम एक दिन उपवास ( कोई फरियाल नहीं ) अनिवार्य रूप से करें ,  रिफाइंड तेल का उपयोग बिलकुल नहीं करना चाहिए , यथासंभव भोजन पकाने के लिए घी का उपयोग किया जा सकता है। दूध , दही और मावा बिना शकर अच्छे प्रोटीन के स्रोत हैं , भोजन के लिए कुल 8 घंटे का अंतराल समय निर्धारित रखना चाहिए। दिन के शेष 16 घंटे जिसमें नींद का समय शामिल हो खाली पेट रहना चाहिए। 8 घंटे भोजन के समय अवधि में बार-बार भोजन नहीं करना चाहिए। जंक फूड जिसमें तेल ,  नमक ,  मेदा अधिक है जैसे ब्रेड , बिस्कुट , समोसा , कचौरी , सेव, भजिया, केक , कोल्ड ड्रिंक ,  सॉफ्ट ड्रिंक , पिज़्ज़ा बर्गर , सैंडविच आदि का बिल्कुल उपयोग नहीं करना चाहिए। जड़ और कंदमूल के लिए खासकर आलू और शकरकंद आदि का बिल्कुल इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। जंक फूड के उपयोग के विषय में उन्होंने बताया कि 50 हजार बच्चों के अध्ययन के दौरान यह पाया गया कि 5 साल से 9 साल की आयु के 34% बच्चों में बच्चों में ट्राई ग्लिसराइड अर्थात बुरी चर्बी की मात्रा आवश्यकता से अधिक पाई गई जो कि प्री डायबिटीज  का खतरा है। 5 वर्ष से कम आयु के लगभग 9% बच्चे प्री डायबिटिक होना पाया गया है । उन्होंने कहा कि मोबाइल लैपटॉप और एलईडी आधारित लाइट भी मानव स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा है ,  इसके उपयोग से अनेक नई बीमारियां जन्म ले रही है। कार्बोहाइड्रेट के अधिक से अधिक उपयोग के लिए मांसपेशियों पर आधारित अधिक से अधिक एक्सरसाइज करें , नियमित योग, व्यायाम करे, तंबाकू और शराब का बिल्कुल सेवन नहीं करें । महिलाओं को अपनी थाइरॉएड फंक्शन की जांच अनिवार्य रूप से करानी चाहिए ।उन्होंने बताया कि सभी वयस्कों को अपनी भोजन पश्चात सी बी सी, सी आर पी, फास्टिंग ग्लूकोस एवं फास्टिंग ग्लूकोस टोलरेंस टेस्ट , फास्टिंग इन्सुलिन , एच बी 1 ए सी, लिपिड प्रोफाइल, लिवर एंजाइम, यूरिक एसिड एंड किडनी प्रोफ़ाइल, विटामिन डी और विटामिन बी 12, महिलाओं के लिए अनिवार्य थायराइड टेस्ट,  और लिवर यू/ ऐस , एंड सी ए सी स्कैन कराना चाहिए और इस आधार पर अपना डायट प्लान करना चाहिए। कार्यक्रम के अंत में जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग श्री रजनीश सिन्हा द्वारा आभार व्यक्त किया गया।

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